दिन में धूप का ना निकलना, ओस की बूंदों के साथ देर तक कोहरा रहना आलू की पौध में नमी पैदा कर सकता है. आगरा, अलीगढ़, हाथरस और उससे सटे इलाकों में हल्की बारिश और बूंदा-बांदी के पूर्वानुमान ने आलू किसानों की फिक्र को बढ़ा दिया है. 70 दिन की पकी फसल पर कोई आफत न टूट जाए यह सोचकर किसान लगातार मौसम की चाल को देख रहा है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो अगर इस वक्त जरा सी बूंदा-बांदी भी हुई तो वो आलू की ग्रोथ को रोक देगी. आलू जमीन के अंदर ही सड़ जाएगा.
अगर इस वक्त बूंदा-बांदी भी होती है तो इसका असर देशभर की मंडियों पर पड़ेगा. यूपी के आगरा मंडल में करीब 1.60 लाख हेक्टेयर में आलू का उत्पादन होता है. देश के कुल आलू उत्पादन का 27 फीसद आलू अकेले आगरा में ही होता है. 50 किलो वजन वाले आलू के 10 करोड़ पैकेट कोल्ड स्टोरेज में रखे जाते हैं. यही आलू धीरे-धीरे बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा,पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि मंडियों में बिकने के लिए जाता है.
आगरा से सटे अलीगढ़-हाथरस में आलू के करीब 2.5 करोड़ पैकेट का उत्पादन होता है. मार्च से लेकर अक्टूबर तक यहां का 95 फीसद आलू दिल्ली-एनसीआर की बड़ी मंडियों आजादपुर, ओखला और गाजीपुर में सप्लाई होता है. थोड़ा बहुत आलू आगरा से भी जाता है.
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कृषि वैज्ञानिक एमबी सिंह ने किसान तक को बताया कि आलू की फसल 90 दिन की होती है. अभी 70 दिन की फसल हो चुकी है. फरवरी में आलू की खुदाई शुरू हो जाएगी. आलू को जितने पानी की जरूरत थी वो किसान ने लगा दिया है. अब आलू को पानी की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. अगर ऐसे में पाला और बूंदा-बांदी के चलते आलू के खेत में नमी पहुंचती है तो आलू पिछेता झुलसा रोग की चपेट में आ जाएगा. यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है.
इस बीमारी के चलते फसल के पत्ते पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं. तेजी के साथ यह धब्बेू बड़े होने लगते हैं और काले रंग के पड़ जाते हैं. धब्बों का रंग बदलते ही पत्तियां रसीली, पिलपिली होने लगती हैं. उनसे बदबू आने लगती है. आलू जमीन के अंदर सड़ना शुरू हो जाता है. उसकी ग्रोथ रुक जाती है. उत्पादन भी घट जाता है.
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आलू किसान राजेश शर्मा ने किसान तक को बताया कि अभी 10 दिन पहले तक जिस तरह का मौसम था उससे आलू की फसल को संजीवनी मिली है. आलू की खूब ग्रोथ हुई है. इस मौसम में आलू का साइज भी खूब फलता-फूलता है और उत्पादन भी बढ़ता है. दिन में धूप और रात में कोहरा आलू के लिए दवाई का काम करता है. 90 फीसद आलू एक समान साइज का होता है. ऐसे आलू के बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं. चिप्स बनाने वाली कंपनियां भी एक समान साइज के आलू की डिमांड करती हैं.
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