
हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए एक खास मुहिम उनकी जिंदगी बदलने वाली हो सकती है. यहां के नूरपुर फॉरेस्ट डिविजन को एक महत्वाकांक्षी एग्रोफॉरेस्ट्री कार्बन प्रोजेक्ट के लिए चुना गय है. इस डिविजन में लोअर कांगड़ा जिले के नूरपुर, इंदौरा, जवाली और फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. यह प्रोजेक्ट प्रोक्लाइम इंडिया, राज्य वन विभाग के साथ मिलकर नूरपुर, धर्मशाला, पालमपुर, डेहरा, हमीरपुर, ऊना, नालागढ़, बिलासपुर, पांवटा साहिब, नाहन और डलहौजी फॉरेस्ट डिवीजनों में शुरू कर रहा है.
इस प्रोजेक्ट का मकसद उन इलाकों में पेड़ लगाना है जिसकी पहचान वन विभाग की तरफ से की गई है. इन इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने के उपाय लागू किए जाएंगे. ऐसे में इससे किसानों और बागवानों की इनकम में भी इजाफा होगा. अखबार ट्रिब्यून के अनुसार प्रोक्लाइम सर्विसेज एक प्राइवेट भारतीय कंपनी है जो क्लाइमेट सॉल्यूशंस पर फोकस करती है. यह कार्बन प्रोजेक्ट्स डेवलप करने और बायोचार और फॉरेस्ट्री जैसी सस्टेनेबल स्ट्रैटेजीजको लागू करने में माहिर है ताकि कार्बन क्रेडिट जेनरेट किए जा सकें. कंपनी भारत और श्रीलंका में बड़े इन्वेस्टमेंट की योजना के साथ आई है.
इसने कार्बन पोर्टफोलियो बनाए, सरकारों के लिए क्लाइमेट पॉलिसी दी और फॉरेस्ट्री प्रोजेक्ट्स पर समुदायों के साथ काम किया है. इसका मकसद क्लाइमेट एक्शन को आर्थिक तौर पर फायदेमंद बनाना है. नूरपुर के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) अमित शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य राज्य में समुद्र तल से 1,500 मीटर से नीचे के ट्रॉपिकल बायोक्लाइमेटिक जोन हैं, जो एक अनुमान के अनुसार 1,16,867 हेक्टेयर में फैले हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 40 साल के लाइफ साइकिल में फेज्ड इम्प्लीमेंटेशन मॉडल का इस्तेमाल करके 50,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर बड़े पैमाने पर एग्रोफॉरेस्ट्री को अपनाना है. इससे राज्य के पहचाने गए 11 फॉरेस्ट डिवीजनों में खेती करने वाले समुदायों को सीधा फायदा होगा.
प्रोजेक्ट को 'हिम एवरग्रीन' नाम दिया गया है जो एक एग्रोफॉरेस्ट्री कार्बन प्रोजेक्ट होगा. इसका मुख्य मकसद मिट्टी के कटाव को कम करने, खेतों में बायो-डायवर्सिटी बढ़ाने, लंबे समय तक आजीविका सुरक्षा में सुधार करने और बड़ी मात्रा में कार्बन को सोखने के लिए लकड़ी, औषधीय पेड़ों और गैर-लकड़ी वन प्रजातियों सहित वन प्रजातियों को लगाकर एग्रोफॉरेस्ट्री सिस्टम शुरू करना है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, प्रोक्लाइम कंपनी ने इस एग्रोफॉरेस्ट्री प्रोजेक्ट में सभी चरणों में 7 मिलियन डॉलर का निवेश करने का वादा किया है, जिसमें प्लांट नर्सरी डेवलपमेंट, पौधे लगाना, पूरी मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन लाइफसाइकिल की लागत शामिल है जिससे राज्य सरकार के खजाने पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा.
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