महाराष्ट्र में किसानों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. कभी प्रकृति की मार तो कभी बाजार की मार. ज्यादातर मामलों में किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पता है. वहीं अब किसानों को गेंदे के फूलों का उचित दाम नहीं मिल रहा है, जिसके चलते वो निराश हैं. जबकि यह त्योहार का समय है. किसानों का कहना है कि दशहरा और दिवाली के त्यौहार को देखते हुए गेंदे फूल की खेती की इस उम्मीद में की थी कि अच्छा दाम मिलेगा, लेकिन भाव कम मिलने से हम किसानों की सारी उम्मीद टूट गई हैं. वहीं राज्य के कई जिलों में बारिश की वजह से ज्यादातर किसानों की फूल की खेती बर्बाद हो गई. लेकिन सबसे ज्यादा धक्का कम दाम मिलने से लग रहा है.
दशहरे के मद्देनजर नासिक जिले के मनमाड बाजार समिति में किसान बड़ी संख्या में गेंदे के फूल बिक्री के लिए पहुंचे हैं. लेकीन फूलों को सही कीमत नहीं मिलने से फूल उत्पादक किसान संकट में हैं. वर्तमान में फूलों की कीमत 15 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम किसानों को मिल रही है. जिसके चलते फूल उत्पादकों ने नाराजगी जताई है. किसानों का कहना है कि कीमतों में गिरावट के कारण हम फूल उत्पादक किसानों का दशहरा और दिवाली का त्योहार फीका पड़ने लगा है. पहले प्राकृति की मार पड़ी और अब बाजार रुला रहा है.
दशहरा और दिवाली मीठी होगी इस उम्मीद में किसानों ने सूखे के दौरान बचे हुए थोड़े से पानी पर फूलों की खेती की थी, लेकिन फूलों की गिरती कीमतों के कारण अब उत्पादन लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. इसलिए फूल बेचकर दशहरा-दिवाली त्योहार को मीठा करने का किसानों का सपना टूट गया है. किसानों का कहना है कि इस समय बाजार में गेंदे का फूल ज्यादा से ज्यादा 25 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है. इस समय इसका दाम 40 से 60 रुपये किलो के बीच होना चाहिए.
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त्योहारों के चलते देश भर में उत्सव का माहौल शुरू हो गया है. एक के बाद एक त्यौहार आ रहे हैं. नवरात्रि का त्योहार के बाद दशहरा आ गया और कुछ दिनों में दिवाली की धूम होने वाली है. बाजार फूलों से भरे हुए हैं. लेकिन सही कीमत नहीं मिलने पर किसान नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. मॉनसून सीजन में पिछले तीन-चार माह से फसलों को पानी नहीं मिला जिसके चलते फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. अब कई जगहों पर किसान बारिश से परेशान हैं. किसानों को त्योहारों में उम्मीद थी कि इसमें कमाई हो जाएगी लेकिन बाजार ने निराश कर दिया है.
राज्य के ज्यादातर किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं. कुछ फूलों की खेती कर रहे हैं. लेकिन फूल उत्पादकों को कभी प्रकृति से धोखा तो कभी बाजार में मिल रहा कम भाव परेशान कर रहा है. राज्य में नादेड़, लातूर जैसे अन्य जिलों में बारिश होने के करण फूलों की खेती पर बुरा असर पड़ने से बाजार में फूलों की आवक भी 30 से 40 फीसदी तक कम हो गई है. इसके बावजूद दाम कम मिलना किसानों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है.
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