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तमिलनाडु में बाढ़ से फसल बर्बाद, किसानों ने की 45000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग

तमिलनाडु में बाढ़ से फसल बर्बाद, किसानों ने की 45000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग

किसानों ने कहा कि थमिराबरानी नदी के किनारे के कृषि क्षेत्रों में जमा गाद लगभग छह फीट ऊंची है. हालांकि कृषि विभाग ने इसे हटाने के लिए मशीनरी उपलब्ध कराई थी, लेकिन वे दलदली खेतों में प्रवेश करने में असमर्थ थीं. थमीराबारानी नदी बेसिन में पान के बाग बाढ़ से पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं.

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तमिलनाडु में किसानों ने की मुआवजे की मांग. (सांकेतिक फोटो) तमिलनाडु में किसानों ने की मुआवजे की मांग. (सांकेतिक फोटो)

तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में पिछले साल बाढ़ से हजारों एकड़ में लगी फसलों को बहुत अधिक नुकान पहुंचा था. ऐसे में किसानों ने सरकार से फसल मुआवजे की मांग की है. किसानों ने सरकार से 45,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मांगा है. उनका कहना है कि सरकार को किसानों को मुआवजे के रूप में आर्थिक मदद करनी चाहिए, ताकि उनकी दयनीय स्थिति में सुधार हो. वे मुआवजे के पैसे से दूसरी फसलों की सही तरीके से खेती कर सकें.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को कलक्ट्रेट परिसर में कलेक्टर जी लक्ष्मीपति की अध्यक्षता में बाढ़ के बाद आयोजित पहली शिकायत निवारण बैठक में किसानों ने यह मांग उठाई है. किसानों ने राज्य सरकार से दिसंबर 2023 की बाढ़ से हुई फसल क्षति के लिए प्रति एकड़ 45,000 रुपये का मुआवजा देने का आग्रह किया है. इस दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि बाढ़ में तबाह हुई कृषि भूमि की बहाली में देरी से खेती फिर से शुरू करने में बाधा आ सकती है. 

सरकार ने की थी मुआवजे की घोषणा

किसानों ने कहा कि थमिराबरानी नदी के किनारे के कृषि क्षेत्रों में जमा गाद लगभग छह फीट ऊंची है. हालांकि कृषि विभाग ने इसे हटाने के लिए मशीनरी उपलब्ध कराई थी, लेकिन वे दलदली खेतों में प्रवेश करने में असमर्थ थीं. थमीराबारानी नदी बेसिन में पान के बाग बाढ़ से पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. ऐसे में किसानों ने फिर से पान उगाने के लिए मुआवजा और पूंजी की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने पहले एक हेक्टेयर धान की फसल और छोटी बाजरा की फसल के लिए क्रमशः 17,000 रुपये और 8,500 रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी. हालांकि, राशि अभी तक जारी नहीं की गई है.

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45,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की मांग

इसके अलावा, कुछ किसानों ने भारी फसल क्षति और कर्ज में डूबी स्थिति का हवाला देते हुए 45,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की भी मांग की है. तमिलनाडु विवासयिगल संगम के जिला सचिव बुविराज ने कहा कि बीमा कंपनियों को बिना किसी कटौती के 100 फसदी राशि जारी करने की सलाह दी जानी चाहिए, क्योंकि हालिया बाढ़ ऐतिहासिक प्राकृतिक आपदा थी. इस बीच, बैठक में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब किसानों के एक वर्ग ने बाढ़ के पानी को कम करने और युद्ध स्तर पर नुकसान को ठीक करने के जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना की.

सांबा धान की कटाई शुरू

वहीं, पिछले दिनों खबर सामने आई थी कि तमिलनाडु के मदुरै जिले में एक महीने देर से ही सही लेकिन सांबा धान की कटाई शुरू हो गई है. इससे किसान काफी उत्साहित हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बार मार्केट में धान का अच्छा रेट मिलेगा. ऐसे मदुरै जिले में किसानों ने 29,000 हेक्टेयर में धान की खेती की है. हालांकि, किसानों को बेमौसम बारिश और बाढ़ का भी सामना करना पड़ा है. इससे धान की फसल को नुकसान भी पहुंचा है. चेल्लमपट्टी के किसानों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने लगातार दूसरे सीजन में बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ा. ऐसे में किसानों ने दोनों सीज़न में हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है.

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