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कुरुक्षेत्र की मंडियों में नहीं बची जगह, पार्किंग और मेला ग्राउंड में उतारा जा रहा गेहूं

कुरुक्षेत्र की मंडियों में नहीं बची जगह, पार्किंग और मेला ग्राउंड में उतारा जा रहा गेहूं

हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़तिया एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा कि उठान में देरी के कारण अनाज मंडियों में जाम लग गया है और किसानों को अपनी उपज उतारने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. ठेकेदार अनाज मंडियों से समय पर उपज उठाने में विफल रहे हैं. 

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हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गेहूं का उठान है बहुत धीमा. (सांकेतिक फोटो) हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गेहूं का उठान है बहुत धीमा. (सांकेतिक फोटो)

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में गेहूं का धीमा उठान होने की वजह से मंडियों में फसल की नई आवक को रखने के लिए जगह नहीं बची है. ऐसे में किसानों को काफी परेशानी हो रही है. किसानों में अपनी उपज को बेचने के लिए मंडी के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है. वहीं, खबर है कि थानेसर अनाज मंडी में गेहूं भारी आवक के कारण ट्रैक्टर- ट्रोलियों को खड़ा करने के लिए भी जगह नहीं बची है. ऐसे में ब्रह्म सरोवर की पार्किंग और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मेला ग्राउंड का गाड़ियों से गेहूं की बोरी उतारने  के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. पूरा ब्रह्म सरोवर पार्किंग और मेला ग्राउंड गेहूं की बोरियों से पट गया है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, भारी आवक और धीमी उठान के कारण जिले की अनाज मंडियों में नई आवक के लिए बहुत कम जगह बची है. जानकारी के अनुसार, जिले में लगभग 3.70 लाख मीट्रिक टन स्टॉक की खरीद की जा चुकी है, जबकि 21 अप्रैल तक खरीद एजेंसियों द्वारा लगभग 35 प्रतिशत स्टॉक उठा लिया गया है. 48-कोस तीर्थ निगरानी समिति के अध्यक्ष मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि ऐसा हर साल होता है. हमने इस मुद्दे को कई बार संबंधित अधिकारियों के सामने उठाया है, लेकिन जगह का उपयोग अभी भी गेहूं और धान की फसल को उतारने के लिए किया जाता है.

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ब्रह्म सरोवर पार्किंग गेहूं की बोरियों से भर गया

मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि ब्रह्म सरोवर के बाहर की पार्किंग और मेला मैदान गेहूं की बोरियों से भर गया है. वहीं, उपज उतारने से ब्रह्म सरोवर और उसके आसपास बहुत सारी धूल और गंदगी जम गई हैं. साथ ही चूहे भी निकल रहे हैं. इसके अलावा भारी ट्रकों के चलने से पार्किंग क्षेत्र को नुकसान हो रहा है. ऐसी बातें किसी पर्यटक स्थल के लिए अच्छी नहीं हैं. हालांकि, सरकार वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है और हमें उम्मीद है कि मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.

34.14 लाख टन गेहूं की आवक

वहीं, कुछ पहले खबर सामने आई थी कि पंजाब की कमंडियों में उपज को रखने के लिए जगह नहीं बची है. मंडियों में आए 34.14 लाख मीट्रिक टन गेहूं के मुकाबले केवल 20 प्रतिशत यानी 6 लाख मीट्रिक टन ही उठाया जा सका है. खास बात यह है कि इनमें से सरकारी एजेंसियों द्वारा 27.76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है और निजी व्यापारियों ने 1.96 लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदा है. अभी मंडियों में 4.42 लाख मीट्रिक टन गेहूं बिना बिके पड़ा हुआ है. यदि बारिश होती है, तो मंडी में बिना बिके हुए अनाजों को नुकसान होगा. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होगा.

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