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MSP: मनमोहन बनाम मोदी सरकार, पंजाब-हर‍ियाणा में क‍िसानों को म‍िली एमएसपी का ये रहा ह‍िसाब-क‍िताब

MSP: मनमोहन बनाम मोदी सरकार, पंजाब-हर‍ियाणा में क‍िसानों को म‍िली एमएसपी का ये रहा ह‍िसाब-क‍िताब

धान की एमएसपी के तौर पर पंजाब के क‍िसानों को मनमोहन सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के दौरान 157.22 फीसदी अध‍िक रकम म‍िली. जबक‍ि गेहूं की एमएसपी में 110.24 फीसदी ज्यादा पैसा म‍िला. इसी तरह हर‍ियाणा में मनमोहन सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के दौरान धान की एमएसपी के तौर पर म‍िलने वाली रकम में 254 फीसदी का इजाफा हुआ है.

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एमएसपी पर पंजाब-हर‍ियाणा में आंदोलन क्यों? एमएसपी पर पंजाब-हर‍ियाणा में आंदोलन क्यों?

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) की गारंटी को लेकर पंजाब के क‍िसानों ने मोदी सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोल द‍िया है. इसमें अब हर‍ियाणा के क‍िसान भी जुड़ गए हैं. जबक‍ि कड़वी सच्चाई यह है क‍ि पंजाब और हरियाणा देश में दो ऐसे सूबे हैं जहां एमएसपी पर फसलों की सबसे ज्यादा खरीद होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो एमएसपी के तौर पर केंद्र सरकार जितना पैसा खर्च करती है उसका ज्यादातर हिस्सा इन्हीं दो सूबों के किसानों को मिलता है. ज‍िन राज्यों के क‍िसानों को एमएसपी का न के बराबर लाभ म‍िलता है वो आंदोलन में नहीं हैं और ज‍िन दो राज्यों को सबसे ज्यादा पैसा म‍िलता है उन्हीं के क‍िसान सड़क पर उतरे हुए हैं. इन दोनों राज्यों के क‍िसानों को तो एमएसपी म‍िलने की अघोष‍ित 'गारंटी' कई वर्षों से है. हर साल इनका ज्यादातर गेहूं-धान सरकार खुद ही खरीद लेती है. 

फ‍िलहाल, क‍िसान आंदोलन को हवा दे रही कांग्रेस ने अपने प‍िछले एक दशक के शासन काल में क‍िसानों से उनकी फसलों की क‍ितनी खरीद की है और क‍ितना पैसा द‍िया है इसका नकाब भी उतारने का समय आ गया है. कांग्रेस के कथ‍ित क‍िसान प्रेम का यह नकाब खरीद और एमएसपी के भुगतान के आंकड़ों से उतरेगा. मनमोहन स‍िंह बनाम मोदी सरकार की तुलना करें तो क‍िसानों को वर्तमान सरकार के दौरान एमएसपी के तौर पर बहुत ज्यादा पैसा म‍िला है. खासतौर पर हर‍ियाणा और पंजाब में. अब क‍िसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों को यह एहसास दिलाने की कोशिश में जुटी हुई है क‍ि वो उनकी कितनी बड़ी खैरख्वाह है.

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पंजाब में एमएसपी: कांग्रेस बनाम बीजेपी

  • साल 2004-05 से 2013-14 तक कांग्रेस की मनमोहन सरकार के दौरान राज्य में 1263.29 लाख मीट्र‍िक टन धान की खरीद की गई. इसके बदले क‍िसानों को एमएसपी के तौर पर 1,17,622.13 करोड़ रुपये म‍िले. 
  • दूसरी ओर 2014-15 से 2023-24 तक बीजेपी की मोदी सरकार के दौरान 1686.32 लाख मीट्र‍िक टन धान की खरीद की गई. यानी कांग्रेस के मुकाबले एमएसपी पर धान खरीद में 33.49 फीसदी का इजाफा हुआ. धान की एमएसपी के तौर पर पंजाब के क‍िसानों को मनमोहन सरकार के मुकाबले 157.22 फीसदी अध‍िक रकम म‍िली. सरकार ने इस दौरान एमएसपी के तौर पर 93.67 लाख क‍िसानों को 302,550.19 करोड़ रुपये का भुगतान क‍िया. 
  • इसी तरह 2004-05 से 2013-14 तक मनमोहन स‍िंह सरकार के दौरान पंजाब में 975.39 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं की खरीद हुई. ज‍िसके बदले क‍िसानों को 98,988.57 करोड़ रुपये म‍िले. 
  • बीजेपी की मोदी सरकार के दौरान 2014-15 से 2023-24 तक पंजाब में 1176.45 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया. यानी 20.61 फीसदी का इजाफा हो गया. इसके बदले 69.72 लाख क‍िसानों को एमएसपी के तौर पर 2,08,112.97 करोड़ रुपये का भुगतान म‍िला. रकम में 110.24 फीसदी का उछाल आया. 

हर‍ियाणा में एमएसपी: कांग्रेस बनाम बीजेपी

  • साल 2004-05 से 2013-14 तक कांग्रेस के मनमोहन स‍िंह शासन में 283.88 लाख मीट्र‍िक टन धान खरीदा गया. इस दौरान सूबे के क‍िसानों को एमएसपी के तौर पर 27,354.53 करोड़ रुपये म‍िले. 
  • साल 2014-15 से 2023-24 तक बीजेपी के मोदी शासन में 539.01 लाख टन धान की खरीद हुई. यानी 89.87 फीसदी का इजाफा हो गया. इसके बदले 55.97 लाख क‍िसानों को 96,869.89 करोड़ रुपये म‍िले. यानी रकम में कांग्रेस शासन के मुकाबले 254.13 फीसदी की वृद्ध‍ि हो गई.
  • साल 2004-05 से 2013-14 तक मनमोहन स‍िंह के कार्यकाल में राज्य से 552.26 लाख टन गेहूं की खरीद हुई. इसके बदले 57,432.36 करोड़ रुपये म‍िले थे. 
  • दूसरी ओर मोदी सरकार के समय वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक 719.17 लाख टन गेहूं खरीदा गया. यानी कांग्रेस के मुकाबले खरीद 30.32 फीसदी बढ़ गई. एमएसपी के तौर पर म‍िलने वाली रकम बढ़कर 1,26,492.50 करोड़ रुपये हो गई. इसका लाभ 52.15 लाख क‍िसानों को म‍िला. यानी हर‍ियाणा के क‍िसानों को मनमोहन स‍िंह के एक दशक के कार्यकाल के मुकाबले 120.25 फीसदी ज्यादा पैसा म‍िला. 

(मोदी सरकार के दौरान गेहूं-धान की खरीद और एमएसपी के आंकड़े एक फरवरी, 2024 तक के हैं. यानी 10 साल से कम के हैं)

सभी राज्यों को कब म‍िलेगा फायदा? 

खरीद के ये सरकारी आंकड़े हैं, ज‍िसमें कोई भी फेरबदल नहीं कर सकता. इस कड़वी सच्चाई के बावजूद इन्हीं दो राज्यों के किसान आज केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरे हुए हैं. केंद्र सरकार ने पिछले किसान आंदोलन के बाद कृषि सुधार के लिए जो कमेटी बनाई थी उसने अब तक एमएसपी को लेकर अपनी र‍िपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है. 

कमेटी के सदस्य ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि सदस्यों की ऐसी राय है क‍ि एमएसपी का लाभ सिर्फ पंजाब और हरियाणा के ही किसानों को क्यों मिले? क्यों नहीं इसका लाभ बिहार. पूर्वी यूपी, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के भी राज्यों को मिले. किसान तो वहां भी हैं, तो फिर इन राज्यों के किसान एमएसपी से क्यों दूर हैं? इस बीमारी का जड़ से इलाज करने का काम जारी है ताक‍ि एमएसपी की व्यवस्था प्रभावी और पारदर्शी बने. कृष‍ि सुधार की कमेटी का जो नोट‍िफ‍िकेशन है उसमें साफ ल‍िखा है क‍ि यह कमेटी एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने का काम करेगी. कानूनी गारंटी जैसा कोई शब्द इस्तेमाल नहीं क‍िया गया है. 

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