पणजी : गोवा जो अपने काजू और आम के बागानों के लिए जाना जाता है, इस साल फसल में भारी गिरावट का सामना कर रहा है. गोवा के किसान मुश्किल में हैं क्योंकि इस साल काजू और आम की कुल पैदावार में औसतन 50 फीसदी की गिरावट आई है. प्रकृति की मार ने भी किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. प्री-मॉनसून बारिश का असर आम की फसल पर पड़ सकता है. आंधी और तेज हवाओं ने आम को भी खत्म कर दिया है. साथ ही फलों में मक्खियों के पैदा होने के लिए जमीन भी तैयार कर दी है.
मुश्किलों के बाद भी मोरपिला में काजू किसान फल इकट्ठा करने, रस निकालने के अलावा उर्रैक और फेनी का उत्पादन करने के पेशे को जारी रखे हैं. सुरक्षित नौकरियां होने के बावजूद, गोवा में इस पेशे में लगे परिवार सदियों पुराने पारिवारिक व्यवसाय को जीवित रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
कृषि निदेशक नेविल अल्फांसो के मुताबिक, इस साल काजू और आम की फसल बहुत कम है. उन्होंने गोवा से निकलने वाले अखबार ओ हेराल्डो से बातचीत में कहा कि इस साल फसल में 30 से 60 फीसदी के बीच गिरावट आई है. ऐसे में औसतन फसल में करीब 50 फीसदी की गिरावट है. उनका कहना था कि काजू के फूल आने में भी देरी हुई है.
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यह पूछे जाने पर कि क्या मौसम का असर काजू की फसल पर पड़ रहा है, अल्फांसो ने कहा, ' पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश का काजू की फसल पर असर नहीं पड़ सकता है, लेकिन अगर लगातार बारिश होती है, तो इसका असर पड़ेगा.' इस साल काजू की कीमत में किसी भी उतार-चढ़ाव के बारे में पूछे जाने पर अल्फांसो ने कहा, 'काजू की दर 111 रुपये प्रति किलोग्राम है. यह स्थिर है, इसमें उतार-चढ़ाव नहीं हुआ है.'
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जब उनसे आम की फसल के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि इस साल आम का फूल उतना अच्छा नहीं आया है. आम के फूल और पैदावार में भी देरी हुई है. इस वर्ष हमें बौर के आधार पर आम की अच्छी पैदावार की उम्मीद नहीं है. मोरपिला काजू की किसान गीतांजलि वेलिप ने बताया कि इस साल काजू का रेट 111 रुपये है. पिछले साल रेट 123 रुपये तक पहुंच गया था. काजू का सीजन ठीक है. बारिश इतनी तेज नहीं थी, यहां कम बारिश हुई. इसलिए काजू की फसल प्रभावित नहीं हुई.
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