लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में प्याज भी एक मुद्दा है. क्योंकि काफी दिनों से प्याज उत्पादक किसानों को सही दाम नहीं मिल रहा है. ज्यादातर मंडियों में दाम गिरे हुए हैं. लेकिन 22 अप्रैल को रायगढ़ जिले की पेण मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम भी 24 और अधिकतम दाम 26 रुपये किलो रहा. जबकि प्याज की आवक 399 क्विंटल हुई थी. उधर, 23 अप्रैल को पुणे-पिम्परी में न्यूनतम दाम 14 रुपये किलो रहा. कई मंडियों में न्यूनतम दाम 10 से 12 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है. हालांकि अब भी इतने दाम में किसानों को फायदा नहीं हो रहा है, क्योंकि लागत काफी बढ़ गई है.
जहां पर आवक कम है वहां पर दाम थोड़ा तेज है लेकिन जिन मंडियों में आवक बढ़ी हुई है वहां पर दाम बहुत कम है. किसानों का कहना है कि अगर निर्यातबन्दी लागू नहीं होती तो इस वक्त किसानों को 30 से 40 रुपये किलो मिल रहा होता. निर्यातबन्दी की वजह से काफी नुकसान हुआ है. सरकार ने प्याज की निर्यातबन्दी तब की थी जब दिसम्बर 2023 में दाम बढ़ने लगे थे. निर्यातबन्दी 7 दिसम्बर से 31 मार्च 2024 तक के लिए लागू की गई थी, लेकिन सरकार ने अब इसे अनिश्चित काल के लिए आगे बढ़ा दिया है.
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केंद्र सरकार ने बताया है कि 2023-24 में प्याज का उत्पादन पिछले वर्ष के 302.08 लाख टन के उत्पादन की तुलना में 254.73 लाख टन ही होने की संभावना है.क्योंकि प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादन घट गया है. महाराष्ट्र में 34.31 लाख टन, कर्नाटक में 9.95 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 3.54 लाख टन और राजस्थान में 3.12 लाख टन उत्पादन कम होने का अनुमान लगाया गया है. इसलिए अब प्याज महंगा हो सकता है. बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर एक्सपोर्ट पर रोक नहीं होती तो दाम काफी बढ़ चुका होता.
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