खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई का वक्त अब नजदीक है. इस बार खरीफ बुवाई वाली अरहर, उड़द और मूंग जैसी दालों का रकबा 15 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है. क्योंकि, किसानों ने दालों की अधिक कीमत मिलने की संभावनाओं को देखते हुए दालों की बुवाई की तैयारी कर ली है. जबकि, इस बार अच्छी मानसूनी बारिश की संभावनाओं ने किसानों को दालों के उत्पादन की ओर ध्यान खींचा है. सरकार भी दालों की खरीद और बिक्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल लाने के साथ ही अधिक एमएसपी देने जैसे प्रयास कर रही है.
बीते 6 महीने से लगातार दालों की महंगाई 18 फीसदी के ऊपर दर्ज की जा रही है. दालों की बढ़ती कीमतों ने इस बार बुवाई रकबा बढ़ने की संभावनाओं को बल दिया है. अनुमान है कि अधिक कीमतों के कारण खरीफ दालों का रकबा 15 फीसदी तक बढ़ सकता है. ट्रेड और इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा है कि रिकॉर्ड ऊंची कीमतें और सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश का पूर्वानुमान किसानों को इन प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई के लिए आकर्षित कर रहा है. जबकि, सोयाबीन की बुवाई से कम रिटर्न मिलने के चलते भी किसान दालों की ओर रख कर रहे हैं.
पिछले दो वर्षों में दालों के कम घरेलू उत्पादन के कारण देश में इसकी कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. यहां तक कि आयात शुल्क हटाने के सरकार के कदम से भी कोई खास मदद नहीं मिली. उपभोक्ता तुअर यानी अरहर दाल के लिए 180 से 200 रुपये प्रति किलो का भुगतान कर रहे हैं. 2023 में महत्वपूर्ण बुआई सीजन के दौरान देरी और कम बारिश के कारण, खरीफ सीजन में दालों का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 5.4 फीसदी घटकर 123.57 लाख हेक्टेयर हो गया था. इस साल अनुमान है कि अरहर फसल के तहत बोए गए क्षेत्र में 10-15 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
केंद्र सरकार ने दाल खरीद दर यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी रेट को बढ़ाया है, जो किसानों को दाल बुवाई के लिए प्रेरित कर रहा है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार अरहर, मूंग, उड़द दाल का एमएसपी 2023-24 सीजन के लिए केंद्र सरकार ने बढ़ाया है.
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