भू-राजनीतिक चुनौतियों और संघर्ष के चलते भारतीय चाय ट्रेडर्स और बासमती चावल निर्यातकों ने दोनों प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को रोक दिया है. इस फैसले से वैश्विक स्तर पर चाय और बासमती चावल की कीमतों में बढ़ोत्तरी आ सकती है. वैसे भी भारत पहले से ही सीमित स्तर पर चावल का निर्यात कर रहा है. जबकि, भारतीय चाय के सबसे बड़े खरीदारों में शामिल ईरान समेत अन्य देशों में इसकी कीमतें ऊपर जा सकती हैं. वैश्विक स्तर पर कीमतें ऊपर जाने का फायदा निचले स्तर पर किसानों को मिलने की उम्मीद नहीं है.
भारतीय चाय और बासमती चावल निर्यातकों ने ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण ईरान, इजराइल और अन्य मध्य पूर्वी देशों को निर्यात रोकने का फैसला किया है. इजराइल द्वारा जवाबी कार्रवाई के रूप में ईरान के इस्फहान में परमाणु रिएक्टर के पास हमला करने से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. जबकि, फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष को लेकर लाल सागर के निर्यात मार्ग को हूती विद्रोहियों ने पहले से ही बाधित कर रखा है.
संघर्ष की आशंका को देखते हुए निर्यातकों ने इस क्षेत्र में शिपमेंट रोकने का फैसला किया है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ईरान को चाय निर्यात करने वाले भंसाली एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर अनीश भंसाली ने कहा कि हमने ईरान को चाय की शिपिंग बंद कर दी है. भू-राजनीतिक स्थिति जल्द खत्म होती नहीं दिख रही है. स्थिति बिगड़ने तक शिपिंग कंपनियां इस क्षेत्र से दूर रहेंगी. वहीं, एशियन टी कंपनी के निदेशक मोहित अग्रवाल ने कहा कि इस साल हम खाड़ी देशों में 40-45 मिलियन किलोग्राम पारंपरिक चाय के निर्यात की उम्मीद कर रहे थे. ईरान द्वारा नए सीजन की चाय की शुरुआती खरीद ने हमारे लिए उम्मीद जगाई थी.
चाय के अलावा बासमती चावल को खरीदने वाले देशों में ईरान भी शामिल है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने ईरान को अपने कुल निर्यात 4.9 मिलियन किलोग्राम में से 10 लाख किलोग्राम बासमती चावल का निर्यात किया है. 50 साल पुरानी हरियाणा स्थित बासमती चावल निर्यातक फर्म एलआरएनके के मैनेजिंग पार्टनर गौतम मिगलानी ने कहा कि हमने अपने निर्यात को रोक दिया है और मौजूदा तनाव के कारण हम भविष्य के ऑर्डर भी नहीं ले रहे हैं.
एक्सपोर्ट फर्म ने कहा कि पहले 5-6 जहाज ईरानी बंदरगाह से आ रहे थे. लेकिन तनाव के चलते अब संख्या आधी हो गई है. बासमती चावल निर्यातकों के लिए भारतीय बंदरगाह पर प्रतीक्षा समय बढ़ गया है. साथ ही बीमा कंपनियां ईरान को निर्यात के लिए कवरेज भी नहीं बढ़ा रही हैं. इसलिए अब चावल निर्यात करने का कोई मतलब नहीं है. चाय और चावल के निर्यात रोकने के फैसले से इन दोनों उत्पादों की वैश्विक कीमतों में अगले सप्ताह तक तेज उछाल देखने को मिल सकता है.
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