मक्का काफी समय से इंसानों के खाने और पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल होता रहा है. परंतु अब यह एक एनर्जी क्रॉप के रूप में भी अपनी जगह बना रहा है. क्योंकि इसका इथेनॉल बन रहा है. इसलिए इसकी मांग बढ़ रही है, जिससे दाम बढ़ रहा है और इसकी खेती करने वाले किसानों को फायदा मिल रहा है. महाराष्ट्र में इसका दाम रिकॉर्ड बना रहा है. किसानों को ज्यादातर मंडियों में इसका दाम एमएसपी से ज्यादा मिल रहा है. केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए मक्का की एमएसपी 2090 रुपये प्रति क्विंटल तय की हुई है, जबकि सरकार ने ही बताया है कि देश में किसानों को इसकी लागत 1394 रुपये प्रति क्विंटल पड़ती है.
मुंबई में 15 फरवरी को मक्का का अधिकतम दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. मतलब कि एमएसपी से 1400 रुपये क्विंटल ज्यादा दाम हो गया है. मंडी में 300 क्विंटल मक्का बिकने आने के बावजूद न्यूनतम दाम 2400 और औसत 3150 रुपये क्विंटल रहा. राज्य में मक्के का सबसे ज्यादा दान यहीं रहा. दूसरी ओर पुणे मंडी में न्यूनतम दाम 2400, अधिकतम 2600 और औसत 2500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. नाशिक जिले के कलवान मंडी में 2000 क्विंटल आवक के बावजूद न्यूनतम, अधिकतम और औसत दाम एमएसपी से ज्यादा रहा. न्यूनतम 2111 और अधिकतम 2251 रुपये क्विंटल का दाम मिला.
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भारत में गेहूं व चावल के बाद मक्का तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल के तौर पर उभर रहा है. इथेनॉल बनने के कारण किसानों को इसका सही दाम मिलने लगा है. भारत में कुल मक्का उत्पादन में बिहार का 9 प्रतिशत योगदान है. देश में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश मक्का के बड़े उत्पादक राज्य हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू स्तर पर मक्का की मांग इसके उत्पादन के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रही है. इसलिए सरकार इसकी खेती बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही है.
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