Crop Advisory: मॉनसून की वजह से किसानों का बिगड़ा खेल, इन फसलों की बुवाई से पहले पढ़ें ये अपडेट

Crop Advisory: मॉनसून की वजह से किसानों का बिगड़ा खेल, इन फसलों की बुवाई से पहले पढ़ें ये अपडेट

देश में मॉनसून का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. जहां एक ओर मॉनसून किसानों के लिए वरदान है, वहीं दूसरी ओर इस बार मॉनसून कई इलाकों में कहर बरपा रहा है. मानसून के इस रूप को देखकर किसान सबसे ज्यादा दुखी हैं. ऐसे में फसलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी सलाह दी गई है. आइये जानते हैं क्या हैं वो.

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Crop Advisory: मॉनसून की वजह से किसानों का बिगड़ा खेल, इन फसलों की बुवाई से पहले पढ़ें ये अपडेटमौसम को देखते हुए किसानों के लिए जरूरी सलाह

देश में मॉनसून का कहर पिछले कुछ दिनों से लगातार जारी है. यह कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति का कारण बन गया है. पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी भारी बारिश के कारण जलभराव की स्थिति हो गई है. जिससे ना सिर्फ आम जनता बल्कि किसान भी काफी परेशान हैं. मॉनसून में जहां किसानों के चेहरे पर खुशी दिखनी चाहिए, वहीं इस बार चिंता की लकीरें दिख रही हैं. भारी बारिश के कारण खेतों में पानी घुस गया है, जिससे खेतों में लगी फसलों को काफी नुकसान हो रहा है. धान की बात करें तो अधिक पानी के कारण धान का पौधा भी पानी में डूब गया है.

जिसकी वजह से फसलों के खराब होने की गुंजाइश बढ़ गई है. ऐसे में किसानों की परेशानीयों को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. ताकि किसान सही समय पर फसलों की उचित देखभाल कर उन्हें बचा सकें.

बारिश को देखते हुए किसानों के लिए एग्रोमेट एडवाइजरीज

अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में भारी से अधिक भारी बारिश होने की वजह से खेतों में पानी भर चुका है. ऐसे में जल जमाव से बचने के लिए जिन खेतों में फसलें लगी हैं उन खेतों से अतिरिक्त पानी निकाल दें। साथ ही अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के किसानों को सलाह है कि वो अभी चावल की रोपाई कुछ दिनों के लिए रोक दें. 
वहीं उत्तराखंड में मक्का, सोयाबीन और सब्जियों की बुआई कर रहे किसान भी कुछ दिन इन फसलों कि बुवाई ना करें. हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे पंजाब और हरियाणा के जिलों में मक्का और ख़रीफ़ दालों की बुवाई अभी ना करें.

धान की खेती कर रहे किसानों के लिए जरूरी सलाह

धान की नर्सरी यदि 20-25 दिन की हो गई हो तो इसे धान की तैयार खेतों में रोपाई शुरू कर दें. धन रहे कि पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी होने चाहिए. फसलों में खाद का अनुपात 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले. साथ ही जिन खेतों में पानी लगने कि समस्या है उन खेतों में नील हरित शैवाल एक पेकेट पर एकड़ का करें. इसका उपयोग मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है. साथ ही मेंडो को मजबूत बनाये. जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में जमा हो सके.

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मक्के की खेती से जुड़ी जानकारी

लगातार हो रही बारिश कि वजह से मिट्टी में नमी बनी हुई है. ऐसे में मिट्टी में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये किसान इस सप्ताह मक्का की बुवाई शुरु कर सकते है. मक्का कि बुवाई के लिए किसान संकर किस्में ए एच-421, ए एच-58 और उन्नत किसमें पूसा कम्पोजिट 3, पूसा कम्पोजिट 4 का चयन कर बुवाई शुरु कर सकते है. बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें. मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से .5 किलोग्राम/ हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिंडकाव करें वो भी तब जब आसमान साफ हो.

अरहर की बुवाई के लिए इन किस्मों का करें चयन

अरहर दाल का उत्पादन शुष्क एवं नमी वाले क्षेत्रों में किया जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छी सिंचाई के साथ-साथ सौर ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है. इसलिए इसकी बुआई के लिए जून-जुलाई का महीना बेहतर माना जाता है. अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अरहर को मटियार दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है. अरहर की बुवाई के लिए कम समय में पकने वाली अरहर की किस्मों (पूसा 99, पूसा 992, पूसा 200, पूसा 2002) की बुवाई 10 से 16 जुलाई तक मिट्टी में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हुए की जा सकती है. फसल से सही उत्पादन के साथ उच्च गुणवत्ता पाने के लिए बीज किसी प्रमाणित जगह से ही खरीदें. साथ ही किसानों से यह सलाह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पी एस बी) फँफूद के टीकों से अवश्य उपचार कर लें. इस उपचार से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है.

ज्वार की बुवाई के लिए इन किस्मों का करें इस्तेमाल

यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त है. ऐसे में किसान पूसा चरी 9, पूसा चरी 6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई मिट्टी में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हुए कर सकते हैं. बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें. 

सब्जी की खेती के लिए सही समय

इस मौसम में किसान खरीफ प्याज, लोबिया, भिंडी, सेम, पालक, चोलाई आदि सब्जियों की बुवाई कर सकते हैं. सब्जी की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी जाती है कि वो मिट्टी में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हुए सब्जी कि खेती शुरू कर सकते है. बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें. कह्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें.

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