केला भारत में बहुत ही लोकप्रिय और लाभदायक फल है, लेकिन इसमें कई प्रकार के रोग लगते हैं जो उत्पादन को प्रभावित करते हैं. ऐसा ही एक आम और खतरनाक रोग है काला सिगाटोका रोग, जो कि एक फफूंदजनित रोग है. यह रोग यदि समय पर न पहचाना जाए और इसका प्रबंधन न किया जाए, तो केले की उपज में भारी नुकसान हो सकता है.
काला सिगाटोका रोग एक प्रकार का फफूंद (fungus) से होने वाला रोग है, जो केले की पत्तियों पर प्रभाव डालता है. यह रोग मुख्य रूप से बारिश के मौसम में ज्यादा फैलता है, खासकर जब नमी और तापमान दोनों अधिक होते हैं.
किसान भाई इस रोग को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
1. रासायनिक नियंत्रण
2. साफ-सफाई और पौधों की निगरानी
3. फसल चक्र अपनाएं
काला सिगाटोका रोग केले की फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन यदि समय पर इसकी पहचान की जाए और उचित रासायनिक व जैविक उपाय अपनाए जाएं, तो इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. किसान भाइयों को चाहिए कि वे मौसम के अनुसार सतर्क रहें और पौधों की नियमित निगरानी करते रहें.
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