उत्तर प्रदेश में प्राथमिक क्षेत्र विशेषकर कृषि ने राज्य की जीडीपी में उल्लेखनीय योगदान दिया है. जहां रबी, खरीफ एवं जायद सीजन में किसानों के द्वारा सफलतापूर्वक फसल उत्पादन का कार्य किया जाता है. यहां मौसम की विभिन्न स्थितियों के अनुरूप प्रजातियों, फसलों की बुआई तथा उनकी विभिन्न विकास की अवस्थाओं पर तकनीकी पहलुओं के साथ साथ कृषि निवेशों की सही प्रयोग से पहले की अपेक्षा अब कृषि का तेजी से विकास हो रहा है और अधिक उत्पादन में तेजी से बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. उप्र कृषि विभाग ने एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य वर्ष 2016-17 में कृषि सेक्टर की विकास दर 8.8 प्रतिशत जब कि वर्ष 2024-25 में कृषि सेक्टर की विकास दर 15.7 प्रतिशत हो गयी है,जो कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं एवं कृषि के प्रति सकारात्मक परिणाम है.
वर्तमान सरकार के प्रयास एवं सघन रूप से चलाये जा रहे कृषि में जागरुकता कार्यक्रमों से प्रदेश के 161 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर वर्ष 2024-25 में कुल 737.20 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ जो राष्ट्रीय स्तर पर 20.89 प्रतिशत का योगदान है. इसी प्रकार प्रदेश मे कृषि फसलों के आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता में भी तेजी से वृद्धि हुई है.
वहीं फसल आच्छादन खरीफ वर्ष 2016-17 में कुल 91.45 लाख हेक्टेयर कृषि फ़सलों का आच्छादन रहा जबकि वर्तमान सरकार द्वारा किसानों के हित मे योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद खरीफ सीजन वर्ष 2024-2025 में आच्छादन 105.93 लाख हेक्टेयर हो गया जो कि पूर्व से लगभग 14.48 लाख हेक्टेयर अधिक है. इसी प्रकार कृषि उत्पादन के आंकड़े भी कृषि के विकास में सरकार के विजन के साथ उपलब्धियां को प्रदर्शित करते है.
1- चावल - वर्ष 2016-17 में चावल का उत्पादन 144.70 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब वर्ष 2024-25 में कुल 212.25 मीट्रिक टन हुआ.
2- गेहूं - वर्ष 2016-17 में गेहूं का उत्पादन 349.71 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब वर्ष 2024-25 में कुल 414.39 मीट्रिक टन हुआ है.
3- दलहन - वर्ष 2016-17 में दलहन का उत्पादन 23.90 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब वर्ष 2024-25 में कुल 36.30 मीट्रिक टन हुआ है.
4- तिलहन: वर्ष 2016-17 में तिलहन का उत्पादन 12.40 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर अब वर्ष 2024-25 में कुल 30.80 मीट्रिक टन हुआ है.
बता दें कि कृषि के एक महत्तवपूर्ण इंडिकेटर फसल सघनता जो वर्ष 2016-17 में 163 प्रतिशत थी, के सापेक्ष वर्ष 2024-25 में 182 प्रतिशत है, में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
👉 विकसित कृषि संकल्प यात्रा कुल 14170 ग्रामों में आयोजित की गई जिससे कुल 23.30 लाख कृषकों को ICAR, कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्र में जा कर वैज्ञानिक कृषि हेतु प्रोत्साहित/लाभान्वित किया गया.
👉 किसान पाठशाला को कृषकों में क्षमता विकास के लिए कुल 76000 ग्रामों में आयोजित किया गया जिसमे 1.71 करोड़ कृषकों को कृषि नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
👉 त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम प्रदेश में मक्का को अधिक उपयोगी एवं उत्पादक बनाए जाने के लिए सरकार द्वारा कृषक हित में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. यह एक बहु उपयोगी फसल के रूप में प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित है जिसका इस्तेमाल खाद्यान्न, पशु आहार एवं औद्योगिक(एथनॉल) उद्देश्यों के लिए किया जाता है.
वर्ष 2016-17 में मक्का के क्षेत्रफल 3.06 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष वर्ष 2024-25 में कुल 5.42 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 11.87 लाख मीट्रिक टन है. कृषकों के क्षमता विकास हेतु ग्राम पंचायत स्तरीय 6510 गोष्ठियां, विकास खण्ड स्तरीय 825 गोष्ठियां, जनपद स्तरीय 75 गोष्ठियां आयोजित की गई.
👉 कृषि वैज्ञानिकों का क्षेत्र भ्रमण- कृषि विश्वविद्यालय/ICAR / कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों के खेतों का भ्रमण/निरीक्षण कर कृषकों की तकनीकी समस्याओं का समाधान कराया गया,जिससे फसलों के आच्छादन, उत्पादन के साथ साथ कृषकों के कार्य करने के तरीकों में सकारात्मक परिवर्तन हुए और उत्पादन बढ़ा है. वहीं उत्तर प्रदेश, देश की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था में महत्तवपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है.
1- गेहूं में प्रथम स्थान
2- चावल में प्रथम स्थान
3-गन्ना मे प्रथम स्थान
4-आलू में प्रथम स्थान
5- बाजरा में दूसरा स्थान
6-मसूर में दूसरा स्थान
7- राई/सरसों में दूसरा स्थान
8- दलहन में तीसरे स्थान
कृषि एवं किसान उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में सम्मिलित है जिनके सर्वांगीण विकास के लिए सरकार का प्रयास निरंतर जारी है.
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