खरीफ का सीजन खत्म होने में अभी थोड़ा समय बचा है और जो आंकड़ें आ रहे हैं उनसे इस तरफ जानकारी मिलती है कि देश में इस सत्र में बुआई में इजाफा हुआ है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ें आए हैं और इनसे पता लगता है जहां धान समेत बाकी फसलों के लिए किसान उत्साह से आगे बढ़ रहे हैं तो वहीं कपास के लिए उदासीनता बढ़ती जा रही है. कृषि विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक खरीफ फसलों की बुवाई सामान्य क्षेत्र के करीब पहुंच गई है और यह पिछले साल की तुलना में 4 फीसदी ज्यादा है.
कृषि विभाग के अनुसार सभी खरीफ फसलों के अंतर्गत बुआई क्षेत्र अब तक करीब 1,097 लाख हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र के 98 फीसदी पहुंच गया है. जिन किसानों ने अप्रैल में पूसा बासमती 1509 चावल बोया था, उन्होंने अपनी फसल काटकर बेच दी है. वहीं धान की खेती करने वाले किसान अभी भी चालू खरीफ सीजन में बुआई जारी रखे हैं. पिछले हफ्ते करीब 34 लाख हेक्टेयर (एलएच) क्षेत्र में बुवाई हुई और चालू सीजन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़त 15 अगस्त तक 3.7 प्रतिशत से घटकर 22 अगस्त तक 3.4 प्रतिशत रह गई है. सरकार संभावित उपज पर कड़ी नजर रख रही है.
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, कुल खरीफ बुआई 22 अगस्त तक 1073.98 एलएच तक पहुंच गई, जबकि पिछले साल 1038.58 एलएच थी. 1 अगस्त तक सीजन का रकबा 5.1 प्रतिशत अधिक था. खरीफ सीजन के मुख्य अनाज धान का रकबा एक साल पहले के 390.80 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 420.41 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो 7.6 प्रतिशत का इजाफा है. दालों का रकबा एक साल पहले के 1118.42 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 112.77 लाख हेक्टेयर हो गया है.
दालों की श्रेणी में, उड़द (काली मटर) का रकबा 20.31 लाख हेक्टेयर से 6.9 प्रतिशत बढ़कर 21.71 लाख हेक्टेयर हो गया है और मूंग (हरा चना) का रकबा 33.50 लाख हेक्टेयर से 1.3 प्रतिशत बढ़कर 33.95 लाख हेक्टेयर हो गया है. अरहर (अरहर) का रकबा एक साल पहले के 44.77 लाख हेक्टेयर से 1.8 प्रतिशत बढ़कर 43.98 लाख हेक्टेयर हो गया है.
पोषक/मोटे अनाजों का क्षेत्रफल 175.93 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 187.12 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो 6.4 प्रतिशत की वृद्धि बताता है. इसमें मक्का का क्षेत्रफल 11.7 प्रतिशत बढ़कर 83.58 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 93.34 लाख हेक्टेयर हो गया है. लेकिन श्री अन्न (बाजरा) का क्षेत्रफल लगभग स्थिर है - ज्वार का क्षेत्रफल 13.90 लाख हेक्टेयर, जो पिछले वर्ष 13.98 लाख हेक्टेयर था, बाजरा का क्षेत्रफल 66.90 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 67.20 लाख हेक्टेयर और रागी का क्षेत्रफल 7.27 लाख हेक्टेयर से घटकर 7.99 लाख हेक्टेयर हो गया है.
तिलहन का क्षेत्रफल भी पिछड़ रहा है और अब यह 187.64 लाख हेक्टेयर से घटकर 182.38 लाख हेक्टेयर हो गया है. इसमें 2.8 प्रतिशत की गिरावट आई है. सोयाबीन का रकबा 124.88 लाख हेक्टेयर से 3.8 प्रतिशत घटकर 120.11 लाख हेक्टेयर रह गया है और मूंगफली का रकबा 46.56 लाख हेक्टेयर से 2.7 प्रतिशत घटकर 45.30 लाख हेक्टेयर रह गया है. सूरजमुखी का रकबा भी 9 प्रतिशत घटकर 0.63 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले साल 0.69 लाख हेक्टेयर था.
कपास का रकबा भी 111.39 लाख हेक्टेयर से 2.6 प्रतिशत घटकर 108.47 लाख हेक्टेयर रह गया है. गन्ना और जूट दोनों की बुआई पूरी हो चुकी है और अनंतिम आंकड़ों के अनुसार इस साल गन्ने का रकबा 57.31 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि जूट का रकबा 5.54 लाख हेक्टेयर है.
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