देश में गन्ने की फसल को लेकर एक अच्छी खबर सामने आई है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि इस बार गन्ने की फसल की संभावनाएं काफी उज्ज्वल हैं. उन्होंने बताया कि 2024-25 सीज़न में चीनी उत्पादन अच्छा रहा है और आगामी फसल पिछली बार की तुलना में और भी बेहतर लग रही है.
खाद्य सचिव ने चीनी उद्योग से अपील की है कि वे आपसी सहमति बनाकर सरकार को निर्यात कोटा को लेकर अपना प्रस्ताव भेजें. फिलहाल सरकार निर्यात पर नियंत्रण रखती है और तय कोटे के आधार पर मिलों को मात्रा आवंटित करती है.
उन्होंने कहा, “हमने उद्योग से सुझाव मांगे हैं. वे पहले आपस में सहमति बनाएं और फिर हमारे पास आएं. अभी तक हमें कोई अंतिम प्रस्ताव नहीं मिला है.”
ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA) ने हाल ही में चिंता जताई कि मौजूदा कोटा प्रणाली के कारण कई दूरस्थ या निर्यात में रुचि न रखने वाली मिलें अपना कोटा दूसरों को बेच देती हैं, जिससे काफी चीनी निर्यात नहीं हो पाती. इसलिए मांग की जा रही है कि केवल वही मिलें निर्यात कोटा प्राप्त करें जो खुद निर्यात करने की इच्छुक और सक्षम हैं.
उद्योग की ओर से एथेनॉल के एक्स-मिल मूल्य (B-हैवी शीरा व गन्ना जूस/सीरप से बने एथेनॉल) बढ़ाने की मांग भी उठाई गई है. इस पर खाद्य सचिव ने स्पष्ट किया कि यह सिफारिश खाद्य मंत्रालय नहीं करता बल्कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की समिति करती है.
सरकार ने अब एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने की चीनी डायवर्जन पर से सभी प्रतिबंध हटा लिए हैं. अब चीनी मिलें B-हैवी शीरे, गन्ना जूस और सीरप का प्रयोग स्वतंत्र रूप से कर सकती हैं.
सचिव ने कहा कि “अब कोई रोक नहीं है, जिससे स्थिति बेहतर होनी चाहिए. साथ ही टूटा हुआ चावल भी फीडस्टॉक के रूप में उपलब्ध है.”
सरकार ने अक्टूबर तक के लिए 5.2 मिलियन टन टूटा चावल एथेनॉल के लिए आवंटित किया था, जिसमें से लगभग 3 मिलियन टन के उठाव की उम्मीद है. हालांकि शुरुआती दो चक्रों में देरी के कारण उठाव अपेक्षा से कम रहा. इस समय गन्ना और चीनी उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत हैं. सरकार जहां फसल को लेकर आश्वस्त है, वहीं वह चाहती है कि चीनी उद्योग भी निर्यात नीतियों पर आपसी सहमति बनाकर आगे बढ़े. इसके साथ ही एथेनॉल नीति में लचीलापन दिखाकर सरकार ने उद्योग को प्रोत्साहित करने का संकेत भी दिया है.
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