Wheat Production: बढ़ते तापमान ने गेहूं उत्पादन और दाम को लेकर बढ़ाई टेंशन, क्या कह रहे हैं व‍िशेषज्ञ? 

Wheat Production: बढ़ते तापमान ने गेहूं उत्पादन और दाम को लेकर बढ़ाई टेंशन, क्या कह रहे हैं व‍िशेषज्ञ? 

प‍िछले साल के मुकाबले इस सीजन में तापमान ज्यादा है. इससे क‍िसानों की च‍िंता बढ़ गई है. इसके बावजूद सरकार ने बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है. जबक‍ि कमोड‍िटी र‍िसर्चर उत्पादन का अनुमान घटा रहे हैं. दूसरी ओर, कृष‍ि वैज्ञान‍िक क‍िसानों से कह रहे हैं क‍ि अभी च‍िंता की कोई बात नहीं.

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Wheat Production: बढ़ते तापमान ने गेहूं उत्पादन और दाम को लेकर बढ़ाई टेंशन, क्या कह रहे हैं व‍िशेषज्ञ? मध्य प्रदेश के खरगोन ज‍िले में गेहूं की खेती (Photo-Kisan Tak).

केंद्र सरकार ने रबी फसल सीजन 2022-23 में गेहूं के र‍िकॉर्ड पैदावार का अनुमान जारी क‍िया है. लेक‍िन, बढ़ते तापमान ने क‍िसानों की बेचैनी बढ़ा दी है. उन्हें आशंका है क‍ि कहीं प‍िछले साल वाली नौबत न आ जाए. उत्पादन को लेकर असमंजस बरकरार है. क्योंक‍ि जलवायु परिवर्तन की वजह से इस साल भी खेती पर खतरा मंडरा रहा है. कमोड‍िटी र‍िसर्चर भी तापमान को देखते हुए गेहूं उत्पादन (Wheat Production) का अनुमान घटा रहे हैं. लेक‍िन, कृष‍ि वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि अभी तक तापमान इतना नहीं बढ़ा है क‍ि गेहूं की फसल को नुकसान हो. हालांक‍ि, वो तापमान से सामना करने के ल‍िए क‍िसानों को रास्ता भी बता रहे हैं. 

राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के मुताब‍िक, '2 से आठ फरवरी 2023 के सप्ताह में मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान पिछले 7 वर्षों के औसत से अधिक रहा है.' इनमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, ह‍िमाचल, राजस्थान और गुजरात का कुछ हिस्सा शामिल है. इस समय सेंट्रल इंड‍िया में तापमान 30 ड‍िग्री सेल्स‍ियस से ऊपर से चल रहा है. उत्पादन कम होने के अनुमान से गेहूं का दाम कम करने की सरकारी कोश‍िशों को धक्का लगेगा. देश के कुछ ह‍िस्सों में गेहूं की कटाई शुरू हो गई है, इसके बावजूद औसत दाम 33 रुपये प्रत‍ि क‍िलो से कम नहीं हुआ है. व‍िशेषज्ञों का कहना है क‍ि उत्पादन कम हुआ तो नई फसल आने के बावजूद गेहूं का दाम नहीं घटेगा. 

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तापमान में क‍ितना अंतर

पूसा के वेदर स्टेशन पर र‍िकॉर्ड क‍िए गए तापमान के अनुसार 18 फरवरी को द‍िल्ली में अध‍िकतम तापमान 30 जबक‍ि न्यूनतम 13 ड‍िग्री सेल्स‍ियस रहा. दूसरी ओर, प‍िछले साल यानी 18 फरवरी 2022 को अध‍िकतम तापमान 25.6 और न्यूनतम 10.8 डिग्री सेल्स‍ियस रहा. अब आप समझ सकते हैं क‍ि तापमान में क‍ितना अंतर आ गया है. 

ओर‍िगो ने घटाया गेहूं उत्पादन का अनुमान 

ओर‍िगो कमोड‍िटी ने नवंबर-द‍िसंबर-2022 में 110 म‍िल‍ियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था. लेक‍िन, अब उसे घटाकर स‍िर्फ 98 म‍िल‍ियन टन कर द‍िया है. जनवरी-2023 में बहुत कम बार‍िश और फरवरी में बढ़ते तापमान की वजह से यह अनुमान घटाया गया है. कमोड‍िटी के र‍िसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है क‍ि इस साल तापमान तेजी से बढ़ रहा है. फरवरी में प‍िछले साल के मुकाबले तापमान ज्यादा है, जो गेहूं की खेती के ल‍िए ठीक नहीं है. इसल‍िए हमने उत्पादन का अनुमान घटा द‍िया है. सरकार भी प‍िछले साल की तरह मार्च तक अनुमान घटा सकती है. ऐसा लग रहा है क‍ि नई फसल आने के बावजूद दाम कम नहीं होगा. 

कृष‍ि वैज्ञान‍िक सहमत नहीं 

हालांक‍ि, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के शिमला स्थित रीजनल स्टेशन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एससी भारद्वाज ऐसे अनुमानों से सहमत नहीं हैं ज‍िसमें गेहूं उत्पादन प‍िछले साल की तरह घटने की बात कही जा रही है. उनका कहना है क‍ि मध्य प्रदेश, राजस्थान के कोटा ड‍िवीजन और महाराष्ट्र के अध‍िकांश क्षेत्रों में गेहूं की कटाई या तो शुरू हो चुकी है या फ‍िर होने वाली है. इसके अलावा प‍िछले सीजन की स्थ‍ित‍ि को देखते हुए इस बार ज्यादातर क‍िसानों ने गर्मी सहनशील क‍िस्म के गेहूं की बुवाई की है. इसल‍िए उत्पादन कम नहीं होगा. 

'क‍िसान तक' से बातचीत में भारद्वाज ने कहा क‍ि रबी फसल सीजन 2021-22 में 341.84 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी, जबक‍ि 2022-23 में 343.23 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया है. यानी प‍िछले साल के मुकाबले 1.39 लाख हेक्टेयर एर‍िया अध‍िक है. इसल‍िए उत्पादन घटने का सवाल नहीं. 

क‍हां ज्यादा बढ़ रहा है तापमान (Ministry of Agriculture).

अगेती बुवाई पर था जोर 

ज्यादातर क‍िसानों ने अगेती बुवाई की है. वर्तमान रबी सीजन के दौरान 30 द‍िसंबर 2022 तक प‍िछले साल यानी 2021 के मुकाबले 11.29 लाख हेक्टेयर अध‍िक बुवाई हो चुकी थी. जबक‍ि 25 नवंबर 2022 तक प‍िछले साल के मुकाबले 14.53 लाख हेक्टेयर में अध‍िक बुवाई हो चुकी थी. वैज्ञान‍िक यह संदेश देने कामयाब रहे थे क‍ि अगेती बुवाई से फायदा होगा. इसल‍िए क‍िसानों ने इस बार अगेती बुवाई पर जोर द‍िया. अगेती बुवाई वाली फसल को नुकसान नहीं होगा.  

भारद्वाज का कहना है क‍ि मध्य प्रदेश में क‍िसान 120 द‍िन में तैयार होने वाली गेहूं की वैराइटी की बुवाई करते हैं. इसल‍िए वहां फरवरी के अंत‍िम सप्ताह तक कटाई खत्म होने को होती है. जबक‍ि नार्थ इंड‍िया में 140 द‍िन की होती है. इसल‍िए चुनौती यहां है. हालांक‍ि, अब तक कहीं से नुकसान की खबर नहीं है. इस बीच गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने तापमान को देखते हुए क‍िसानों के ल‍िए एडवाइजरी जारी की है.

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क‍िसानों के ल‍िए सलाह

  • गेहूं में आवश्यकता अनुसार हल्की सिंचाई करें. तेज हवा चल रही हो तो सिंचाई रोक दें अन्यथा फसल गिर सकती है. जिससे नुकसान होने की संभावना रहेगी. 
  • जिन क‍िसानों के पास स्प्रिंकलर (फव्वारा) सिंचाई की सुविधा है, तापमान में वृद्धि होने की स्तिथि में दोपहर के समय 30 मिनट तक स्प्रिंकलर से सिंचाई कर सकते हैं. ड्रिप सिंचाई की सुविधा हो तो गेहूं की फसल में नमी बनाए रखें. 
  • पोटासियम क्लोराइड 0.2 प्रतिशत छिड़काव करने से अचानक तापमान में वृद्धि होने की स्थ‍िति में गेहूं की फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.

गेहूं उत्‍पादन और 2022-23 का दूसरा अग्रिम अनुमान     

2015-16  922.88
2016-17  985.1
2017-18 998.7
2018-19 1035.96
2019-20 1078.61
2020-21 1095.86
2021-22 1077.42
2022-23 1121.82*
*अग्रिम अनुमान, लाख टन में Source: Ministry of Agriculture 

2022 में क‍ितना बड़ा था नुकसान 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने 2022 में लू की वजह से गेहूं की फसल को हुए नुकसान पर एक र‍िपोर्ट बनाई है. ज‍िसमें कहा गया है क‍ि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ब‍िहार, हर‍ियाणा, राजस्थान और पंजाब में मार्च और अप्रैल के दौरान भीषण लू के कारण गेहूं की उत्पादकता में प्रत‍ि हेक्टेयर 14 क‍िलोग्राम की कमी हुई थी. वर्ष 2021-22 में गेहूं की उत्पादकता प्रत‍ि हेक्टेयर 3521 क‍िलोग्राम प्रत‍ि थी जो 2021-22 में घटकर प्रत‍ि हेक्टेयर 3507 क‍िलोग्राम रह गई थी. 

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ज्यादा तापमान से कैसे होता है नुकसान

हैदराबाद स्थित सेंट्रल र‍िसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA) के वैज्ञान‍िकों के अनुसार लू और अधिकतम तापमान का सामान्य स्तर से अधिक होना रबी फसलों विशेष रूप से गेहूं के लिए नकारात्मक है. चूंकि यह समय, रबी फसलों के प्रजनन और दाना भरने वाली अवस्थाओं का होता है, ऐसे में तापमान में असामान्य वृद्धि इन फसलों को अपना जीवन चक्र जल्दी पूरा करने के लिए बाध्य कर देती है. इससे अनाज की उपज प्रभावित होती है.

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