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ये हैं ब्रोकली की उन्नत किस्में, 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है फसल

ये हैं ब्रोकली की उन्नत किस्में, 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती है फसल

ब्रोकली की अगेती किस्में रोपाई के बाद 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती हैं. अगेती की प्रमुख किस्मों में डी सिक्को, केलेब्रस, ग्रीन बड और संकर किस्मों में ग्रीन मैजिक, जिप्सी और अर्काडिया आदि हैं. मध्यम अवधि की किस्में रोपाई के 75-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं. मध्यम अवधि की किस्मों में बालथम 29, ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया और संकर किस्मों में डेस्टिनी, मैराथन और एमेराल्ड हैं.

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ब्रोकली की उन्नत किस्मों से अधिक पैदावार ली जा सकती है ब्रोकली की उन्नत किस्मों से अधिक पैदावार ली जा सकती है

ब्रोकली के फायदे के देखते हुए अधिक से अधिक किसान इसकी खेती कर रहे हैं. अभी फूलगोभी जहां 10-20 रुपये किलो मिल रही, तो वहीं गोभी की तरह ही दिखने वाली ब्रोकली 50 रुपये से अधिक रेट पर बिक रही है. खेती में फायदे को देखते हुए किसान इस पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. इसकी खेती भी उसी तरह होती है जैसे फूलगोभी की खेती होती है. मिट्टी और जलवायु भी वैसी ही चाहिए, जैसी फूलगोभी के लिए चाहिए होती है. इसलिए किसानों को ब्रोकली के लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं होती है. बस उन्हें उन्नत किस्मों का ध्यान रखना होता है.

ब्रोकली की उन्नत किस्मों की खेती की जाए तो मुनाफे की बेहतर संभावनाएं बनती हैं. इसमें पहला स्थान है अगेती किस्मों का. ब्रोकली की अगेती किस्में रोपाई के बाद 60 से 65 दिनों में तैयार हो जाती हैं. अगेती की प्रमुख किस्मों में डी सिक्को, केलेब्रस, ग्रीन बड और संकर किस्मों में ग्रीन मैजिक, जिप्सी और अर्काडिया आदि हैं. मध्यम अवधि की किस्में रोपाई के 75-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं. मध्यम अवधि की किस्मों में बालथम 29, ग्रीन स्प्राउटिंग मीडिया और संकर किस्मों में डेस्टिनी, मैराथन और एमेराल्ड हैं.

ब्रोकली की पछेती किस्में रोपाई के बाद 100-120 दिनों में तैयार हो जाती हैं. पछेती किस्मों में पूसा ब्रोकली-1, केटीएस-1, पालम विचित्र, पालम समृद्धि और संकर किस्मों में लेट क्रोना, ग्रीन सर्फ आदि हैं. उन्नत किस्मों की खेती के साथ यह जानना भी जरूरी है कि कीट या रोग लगने पर ब्रोकली को कैसे बचाना है.

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ब्रोकली को आर्द्रगलन रोग से बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी से उसके बीज का उपचार करना चाहिए. इसके लिए 10 ग्राम रसायन से एक किलो बीज का उपचार करना चाहिए. पौधे में काला विगलन बीमारी लगती है जिसके लिए एक ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में स्ट्रेप्टोसायक्लिन मिलाकर पौधे को धोना चाहिए. यह उपचार पौधे को खेत में रोपने से पहले किया जाता है. खड़ी फसल पर पर्णचित्ती अंगमारी रोग लगता है जिसके लिए एक लीटर पानी में दो ग्राम डाइथेन एम-45 मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.

इसी तरह ब्रोकली पर माहू कीट लग जाएं तो एक लीटर पानी में 0.3 एमएल इमिडाक्लोग्रिड मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव करना चाहिए. फसल में डायमंड बैक मॉथ नामक कीट लग जाए तो खड़ी फसल पर नीम बीज अर्क का छिड़काव करना चाहिए. गोभी की तितली कीट लग जाए तो एक लीटर पानी में एक ग्राम बैसिलस थूरियनजीनियस का छिड़काव खड़ी फसल पर करना चाहिए.

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इस विधि से ब्रोकली पर रसायनों का छिड़काव कर अच्छी पैदावार ली जा सकती है. ब्रोकली के फायदे को देखते हुए अन्य फसलों की तुलना में इसकी खेती अधिक की जाने लगी है. रिपोर्ट बताती है कि इसमें पाए जाने वाले यौगिक कैंसर जैसे घातक रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. इसके साथ ही, इसमें मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद करते हैं. इन्ही सब फायदों को देखते हुए खाने में ब्रोकली की मांग बढ़ी है. लिहाजा किसान भी अधिक मात्रा में इसकी खेती कर रहे हैं.