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टमाटर जितनी बड़ी स्ट्रॉबेरी! मोगा के किसान ने शुरू की नए तरह की खेती

टमाटर जितनी बड़ी स्ट्रॉबेरी! मोगा के किसान ने शुरू की नए तरह की खेती

पुणे की स्ट्रॉबेरी की नर्सरी मोगा में लगाकर जसप्रीत सिंह ने पुणे से अधिक अपने खेतों में पैदावार ली है. स्ट्रॉबेरी की खेती यहां कोई और किसान नहीं कर रहा है. यही वजह है कि जसप्रीत के स्ट्रॉबेरी की मांग बहुत अधिक है. अगर यहां के बाकी किसान भी जसप्रीत सिंह की तरह रिस्क लेकर स्ट्रॉबेरी की तरह नई खेती करेंगे, तो उनकी कमाई बढ़ने की पूरी संभावना है.

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मोगा में एक किसान ने मौसम के विपरीत स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है मोगा में एक किसान ने मौसम के विपरीत स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है

अगर किसी व्यक्ति को कुछ बड़ा करने की तमन्ना हो तो उसके लिए जगह, माहौल, मौसम और सहूलियतें कोई मायने नहीं रखतीं. ऐसी ही एक मिसाल पेश की है मोगा जिले के दोसांझ गांव के किसान जसप्रीत सिंह ने. इन्होंने धान और गेहूं के फसली चक्र से निकलते हुए अपने खेत की सवा एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती की. खेती में नाम और दाम कमाया. आज स्थिति ये है कि कृषि विभाग के अधिकारियों से लेकर शासन-प्रशासन भी उनकी तारीफ कर रहा है. किसान जसप्रीत सिंह कहते हैं कि अगर युवा भी खेती में लक्ष्य लेकर आगे बढ़ें, तो उन्हें विदेश भागने की जरूरत नहीं होगी. 

मोगा के इस छोटे से गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान जसप्रीत सिंह ने बताया कि पंजाब का मौसम स्ट्रॉबेरी के लिए अनुकूल नहीं है. इसके चलते स्ट्रॉबेरी की खेती करना एक बड़ा जुआ खेलने जैसा है. जसप्रीत कहते हैं, अगर किसी व्यक्ति में काम करने का जुनून हो तो रिस्क लेना ही पड़ता है. यही वजह है कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का मन बनाया. किसान जसप्रीत सिंह ने अन्य किसानों से भी फसलों में विविधता लाने की अपील की. किसानों को अलग-अलग फसल की खेती करने के लिए प्रेरित किया ताकि वे भी कनक झोने (पारंपरिक फसलों की खेती) के चक्कर से बाहर आ सकें. 

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जसप्रीत सिंह के खेत का दौरा करने पहुंचे फिरोजपुर के एसडीएम रंजीत सिंह ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि इससे पंजाब के किसानों के लिए एक नई रीत शुरू हुई है. उन्होंने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी काम करके खुश नहीं है. अगर किसान सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक अपने खेत में काम करने की आदत डाले, तो जहां वे खुद को धान-गेहूं के फसली चक्र से निकाल पाएंगे. वहीं उन्हें भविष्य में विदेशों की और रुख करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. एसडीएम ने जसप्रीत सिंह से खेती की सीख लेते हुए अन्य किसानों से ऐसी ही खेती करने की अपील की.

जसप्रीत सिंह मोगा के जिस इलाके में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं, वहां का मौसम अनुकूल नहीं है. इसके बावजूद उन्होंने इसकी खेती शुरू की और आज अच्छी पैदावार ले रहे हैं. उनकी खेत में उगने वाली स्ट्रॉबेरी टमाटर जितनी बड़ी हो रही है जो कि अमूमन नहीं होती है. जसप्रीत सिंह ने स्ट्रॉबेरी की पनीरी (नर्सरी) से लाई जहां अच्छी वेरायटी की पौध के बारे में उन्हें जानकारी मिली थी. जसप्रीत सिंह फ्लाइट से पुणे गए और वहां से बुकिंग कराकर ट्रक से नर्सरी को मोगा मंगाया और उसकी रोपाई की.

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पुणे में जो स्ट्रॉबेरी उगाई जाती है, उसकी नर्सरी मोगा में लगाकर जसप्रीत सिंह ने पुणे से अधिक अपने खेतों में पैदावार ली है. स्ट्रॉबेरी की खेती यहां कोई और किसान नहीं कर रहा है. यही वजह है कि जसप्रीत के स्ट्रॉबेरी की मांग बहुत अधिक है. अगर यहां के बाकी किसान भी जसप्रीत सिंह की तरह रिस्क लेकर स्ट्रॉबेरी की तरह नई खेती करेंगे, तो उनकी कमाई बढ़ने की पूरी संभावना है. ऐसे किसानों को परंपरागत खेती में हो रहे नुकसान और घाटे से भी उबरने में मदद मिलेगी.(रिपोर्ट/मुनीष जिंदल)