मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिन राजनीतिक दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बोनस की घोषणा की है, उन्हें सत्ता में आने पर इसे लागू करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि केंद्र इस बात पर अडिग है कि वह इन राज्यों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बफर की आवश्यकता से परे, 'केंद्रीय पूल' के लिए एक्सट्रा चावल और गेहूं स्टॉक नहीं लेगा. आमतौर पर, जब किसी फसल के लिए एमएसपी से अधिक बोनस की पेशकश की जाती है, तो किसान उसे अधिक क्षेत्रों में उगाते हैं, जिससे ज्यादा उत्पादन होता है. देखना यह है कि इस तरह के वादे का चुनाव में क्या असर पड़ता है.
हालांकि, कुछ अधिकारियों का मानना है कि एमएसपी पर बोनस देने की बजाय राज्य सरकार को किसानों की मदद के लिए दूसरे तरीके की वित्तीय मदद प्रदान करने का विकल्प चुनना चाहिए. इसमें भूमि स्वामित्व के आधार पर प्रोत्साहन दिया जा सकता है. ओडिशा की कालिया और तेलंगाना की रायथु बंधु जैसी योजनाओं के मॉडल पर किसानों को मदद पहुंचाई जा सकती है. ऐसा करने से चावल का एक्सट्रा उत्पादन नहीं होगा.
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मध्य प्रदेश में भाजपा ने गेहूं की खरीद 2,800 रुपये प्रति क्विंटल पर करने की घोषणा की है. जबकि धान के लिए पार्टी ने 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीद का वादा किया है. हालांकि, गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल और धान का एमएसपी 2,183 रुपये प्रति क्विंटल है. दूसरी ओर, कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में धान 3,000 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीद का वादा किया है. जाहिर है कि एमएसपी के ऊपर राज्य सरकारें अपने पास से किसानों को भारी भरकम बोनस देंगी.
ये दोनों राज्य खाद्य मंत्रालय द्वारा 1997-98 में शुरू की गई विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली (डीसीपी) का पालन करते हैं, जिसका उद्देश्य एमएसपी का लाभ किसानों तक पहुंचाना सुनिश्चित करना है. धान की खरीद के लिए खाद्य मंत्रालय और डीसीपी और गैर-डीसीपी राज्यों के बीच 2021 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे. एमओयू में कहा गया है कि "राज्य की स्थिति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई बोनस या वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा. एमएसपी के अलावा, यदि राज्य की समग्र खरीद कुल आवंटन से अधिक है, तो ऐसी अतिरिक्त मात्रा को केंद्रीय पूल के बाहर माना जाएगा.
राज्य एजेंसियां एमएसपी संचालन के माध्यम से डीसीपी के तहत किसानों से अनाज खरीदती हैं. स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता को पूरा करने के बाद अतिरिक्त अनाज को केंद्रीय पूल स्टॉक के हिस्से के रूप में भारतीय खाद्य निगम को सौंप दिया जाता है.
एफसीआई के अनुसार छत्तीसगढ़ ने 2021-22 में 92.01 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा. जबकि 2022-23 में यह 87.53 लाख मीट्रिक टन था. हालांकि, 2020-21 में यह 71.07 लाख मीट्रिक टन था.
मध्य प्रदेश ने 2022-23 में अपने किसानों से 46.30 लाख मीट्रिक टन धान की एमएसपी पर खरीद की. साल 2021-22 में यहां पर 45.83 लाख टन की खरीद की गई. जबकि 2020-21 में 37.27 लाख टन धान खरीदा गया था.
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