पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपन‍ियों के ल‍िए बड़ा झटका, अम‍ित शाह की बात से बेचैन हुई एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री 

पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपन‍ियों के ल‍िए बड़ा झटका, अम‍ित शाह की बात से बेचैन हुई एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री 

कीटनाशकों और रासायन‍िक खादों के इस्तेमाल पर गृह और सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह ने कह दी ऐसी बात क‍ि बेचैन हो उठे एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री के मठाधीश. एग्रो केम‍िकल बनाने वाली कंपन‍ियां परेशान हैं क‍ि अगर आम जनमानस में कीटनाशकों के ख‍िलाफ ऐसा परसेप्शन बना तो उनके ब‍िजनेस का क्या होगा? 

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पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपन‍ियों के ल‍िए बड़ा झटका, अम‍ित शाह की बात से बेचैन हुई एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री केंद्रीय गृह और सहकार‍िता मंत्री ने कीटनाशकों को लेकर द‍िया बड़ा बयान (Photo-Twitter).

रासायन‍िक उर्वरक और पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपन‍ियों के अब खराब द‍िन आने वाले हैं. दरअसल, सरकार अब खुलकर रासायन‍िक खादों और पेस्टिसाइड के बेतहाशा इस्तेमाल के ख‍िलाफ बोल रही है. सार्वजन‍िक मंच पर कह रही है क‍ि इससे कैंसर तक हो रहा है. जबक‍ि एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री ऐसे तर्कों का खंडन करती रही है. अब सरकार जैव‍िक और प्राकृत‍िक खेती पर जोर दे रही है, जबक‍ि कारपोरेट जगत इसके ल‍िए श्रीलंका की बर्बादी का उदाहरण दे रहा है. बहरहाल, राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) की शुरुआत करते वक्त केंद्रीय गृह और सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह ने रासायन‍िक खादों और कीटनाशकों पर जो बयान द‍िया है उसने इस इंडस्ट्री के मठाधीशों को बेचैन कर द‍िया है. एग्रो केम‍िकल बनाने वाली कंपन‍ियां परेशान हैं क‍ि अगर आम जनमानस में ऐसा परसेप्शन बना तो उनके ब‍िजनेस का क्या होगा? 

आईए जान लेते हैं क‍ि कीटनाशकों और रासायन‍िक खादों पर अम‍ित शाह ने ऐसा क्या कहा, ज‍िससे इस इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होने की संभावना है. हालांक‍ि, यह बयान आम जनता की सेहत को देखते हुए अच्छे काम के ल‍िए द‍िया गया. शाह ने कहा कि ये भारत के लिए संतोषजनक बात है कि कृषि उपज के क्षेत्र में आज हम न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं, बल्कि सरप्लस हैं. लेक‍िन अब हमें इस यात्रा का मूल्यांकन करना होगा. उत्पादन बढ़ाने में फर्टिलाइज़र्स और पेस्टिसाइड्स के अत्यधिक उपयोग के बुरे परिणाम आज हमारे सामने आने लगे हैं. 

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कैंसर ट्रेन का ज‍िक्र क‍िया 

जैव‍िक और प्राकृत‍िक खेती की वकालत करते हुए शाह ने कहा क‍ि इनके अत्यधिक उपयोग ने भूमि की उर्वरता को कम कर द‍िया है. पानी को प्रदूषित करने के साथ ही कई प्रकार की बीमारियां भी दी हैं. उत्पादन को बढ़ाने में फ़र्टिलाइज़र और पेस्टिसाइड के अत्यधिक उपयोग ने कई बुरे परिणाम हमारे भविष्य पर डाल दिए हैं. आज यह पर‍िणाम धीरे-धीरे नजर के सामने दिखाई देते हैं. ज्यादा फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड के उपयोग वाले अन्न के कारण मानव शरीर कई प्रकार के रोगों से ग्रसित भी हुआ है. जब मैं पार्टी का अध्यक्ष था तब देश के सभी राज्यों का भ्रमण करता था. कुछ राज्यों से बड़े शहरों की ओर ट्रेन जाती है, उनका नाम कैंसर ट्रेन रखा गया है. यह अपने आप में आंख खोलने के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटना है. 

फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड से कैंसर

कई राज्यों में फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का उपयोग इतना ज्यादा बढ़ गया क‍ि उससे पैदा हुए अन्न को खाने के कारण मानव शरीर कैंसर से ग्रसित हुआ. यह तो सबसे बड़ा नुकसान है. इसके साथ-साथ डायबिटीज और बीपी जैसी कई सारी बीमारियां धीरे-धीरे नजर आने लगी हैं. इसलिए प्रधानमंत्री जी ने देशभर के किसानों का आह्वान किया कि हम प्राकृतिक खेती की ओर जाएं. इस देश में कुछ ऐसे प्रयोग हुए हैं जिसने इस म‍िथ को तोड़ दिया है क‍ि प्राकृतिक खेती अपनाने से उत्पादन कम होता है. गुजरात के राज्यपाल आचार्य जी ने कई सारे प्रयोग अपने हरियाणा के फॉर्म में किया. जिसमें न केवल प्राकृतिक खेती से भूमि की गुणवत्ता में सुधार हुआ है बल्क‍ि साथ में उत्पादन भी बढ़ाकर उन्होंने दिखाया है. उन्होंने सिर्फ एक गाय से 21 एकड़ में खेती करने का प्रयोग किया है.

पेस्टिसाइड बनाने वाली कंपन‍ियों से सवाल

एग्रो केम‍िकल इंडस्ट्री प्राकृत‍िक और जैव‍िक खेती ओर केंद्र सरकार के बढ़ते रुझान से खुश नहीं है. वो फसलों में पेस्टिसाइड डालने के साइड इपेक्ट से कैंसर या अन्य बीमार‍ियों के होने की बात को खार‍िज करती है. समय-समय पर अपनी बात के समर्थन में आंकड़े भी जारी करती है. हालांक‍ि, इंडस्ट्री पर सवाल यह है क‍ि अगर पेस्टिसाइड मानव जीवन के ल‍िए घातक नहीं हैं तो क्यों अमेर‍िका और यूरोप‍ियन यून‍ियन जैसे देशों में भारतीय कृष‍ि उत्पादों के न‍िर्यात के समय वो मुल्क यह सुन‍िश्च‍ित करते हैं क‍ि इसमें पेस्टिसाइड की मात्रा न हो. क्यों भारत फलों और चावल आद‍ि के एक्सपोर्ट पर एमआरएल यानी कीटनाशक का अधिकतम अवशेष स्तर (MRL-Maximum Residue limit) तय क‍िया गया है.

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पंजाब और उसकी कैंसर ट्रेन

कैंसर दुनियाभर में एक बड़ी महामारी की शक्ल ले चुका है. पंजाब भी इससे अछूता नहीं है. अक्सर जब पेस्टिसाइड और रासायन‍िक खादों की बात आती है तो ऑर्गेन‍िक खेती की वकालत करने वाले लोग पंजाब से चलने वाली कैंसर ट्रेन का ज‍िक्र करते हैं. दरअसर, इसका नाम कैंसर ट्रेन नहीं है. यह नाम बस पड़ गया है. पूछताछ खिड़की पर अक्सर लोग इस ट्रेन की इनक्वायरी कैंसर ट्रेन बोलकर ही करते हैं. बताया जाता है क‍ि बठिंडा से बीकानेर जाने वाली एक ट्रेन को इसका नाम द‍िया गया है. ज‍िससे कैंसर पीड़‍ित मरीज बीकानेर के आचार्य तुलसी रीजनल कैंसर ट्रीटमेंट और रिसर्च सेंटर में ईलाज करवाने जाते हैं.

 

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