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बिहार में उगाई जा रही गेहूं की ये खास किस्म, खुले बाजार में 100 रुपये तक है कीमत

बिहार में उगाई जा रही गेहूं की ये खास किस्म, खुले बाजार में 100 रुपये तक है कीमत

बिहार की पारंपरिक गेहूं की किस्म सोना मोती कराएगी किसानों की अच्छी कमाई. सोना मोती गेहूं का उत्पादन 29 क्विंटल से लेकर 34 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर होता है. बिहार सरकार पारंपरिक बीजों की खेती को लेकर किसानों को कर रही है जागरूक. 

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 बिहार की पारंपरिक गेहूं की किस्म सोना मोती कराएगी किसानों को अच्छी कमाई. बिहार की पारंपरिक गेहूं की किस्म सोना मोती कराएगी किसानों को अच्छी कमाई.

कृषि क्षेत्र में समय के साथ काफी प्रगति हुई है. इस कड़ी में अच्छे उत्पादन वाले बीज बाजार में उपलब्ध हैं. जहां किसान कम जगह में अधिक उत्पादन ले रहे हैं, लेकिन बदलाव के इस दौर में बिहार सरकार पारंपरिक बीजों का भी संरक्षण कर रही है. इसी क्रम में कृषि विभाग द्वारा गेहूं की पारंपरिक किस्मों के संरक्षण और बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में सोना मोती, वंशी और टिपुआ किस्म के गेहूं की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल कहते हैं कि पारंपरिक किस्में कम समय में पकती हैं. साथ ही उच्च उत्पादकता देती हैं. जिस तरह से राज्य में जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है, इसमें ये किस्में काफी सहनशील हैं. 

बात दें कि कृषि विभाग द्वारा रबी सीजन 2023-24 में गेहूं की पारंपरिक किस्मों के संरक्षण और बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में सोना मोती, वंशी और टिपुआ किस्म के गेहूं की खेती को प्रोत्साहित किया गया. इसी कड़ी में सीतामढ़ी जिला में आत्मा योजना के माध्यम से प्रत्येक प्रखंड में सोना मोती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक-एक किसान पाठशाला के माध्यम से डेमो कराया गया. वहीं फसल जांच कटनी में काफी उत्साहवर्धक परिणाम मिला है. जहां सीतामढ़ी जिला के बथनाहा प्रखंड अंतर्गत ग्राम सोनमा में 29 क्विंटल से लेकर 34 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त हुआ है. 

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हड़प्पा काल से हो रही है सोना मोती गेहूं की खेती

कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल कहते हैं कि सोना मोती किस्म गेहूं की एक पारंपरिक किस्म है. ऐसा माना जाता है कि यह किस्म हड़प्पा काल से ही उगाई जाता आ रही है. वहीं इस गेहूं की किस्म का दाना गोल, सुडौल और चमकीला होने की वजह से मोती के दानों जैसा दिखता है. इस गेहूं में रोग लगने का खतरा कम होता है. यह प्राकृतिक रूप से पोषण और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है. वहीं प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का अच्छा स्रोत है. साथ ही पारंपरिक किस्में जलवायु परिवर्तनों के प्रति सहनशील होती हैं. इन किस्मों के उत्पादन में किसान को कम खर्च और कम मेहनत की जरूरत होती है. इन किस्मों की बढ़ती मांग के कारण उन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है. 

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सोना मोती गेहूं डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण 

आज के इस दौर में खान-पान में गड़बड़ी और रासायनिक खाद, बीज के चलते मधुमेह और हृदय रोग जैसे बीमारियों से लोग ग्रसित हैं. वहीं पारंपरिक गेहूं सोना मोती में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक सूचकांक कम होने के कारण यह डायबिटीज और ह्रदय के पीड़ितों के लिए काफी लाभकारी है. साथ ही इसमें अन्य अनाजों की तुलना में कई गुणा ज्यादा फोलिक एसिड की मात्रा है, जो ब्लड प्रेशर और हृदय रोगियों के लिए रामबाण है. इसके साथ ही सोना मोती गेहूं की बाजार में काफी मांग बढ़ रही है. इसकी बाजार में कीमत 50 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक है.