
अगले साल तक भारत में अरहर दाल (तूर) का संकट खत्म हो सकता है. वजह यह है कि बुवाई में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है. साल 2018-19 से 2022-23 के बीच अरहर की बुवाई का सामान्य क्षेत्र 45.55 लाख हेक्टेयर रहा है, जो इस साल 16 अगस्त तक ही 45.78 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है. हालांकि, इस साल सरकार ने 49 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई का लक्ष्य रखा है और अभी तक बुवाई के फाइनल आंकड़े नहीं आए हैं. ऐसे में सितंबर तक अरहर का एरिया और बढ़ने का अनुमान है. इस साल अब तक कर्नाटक में 15.67 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 12 और मध्य प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में अरहर बोई गई है.
पिछले दो वर्ष अरहर की बुवाई के लिए बेहद खराब रहे हैं. साल 2022-23 में 40.68 और 2023-24 में 40.72 लाख हेक्टेयर में ही अरहर की बुवाई हो पाई थी, क्योंकि दोनों वर्ष इसके सबसे बड़े उत्पादक सूबों कर्नाटक और महाराष्ट्र में मौसम अनुकूल नहीं था. इससे उत्पादन घट गया था और हमें बड़े पैमाने पर इसका आयात करना पड़ा. नतीजा यह है कि अरहर का दाल का दाम 200 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया.
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भारत में सालाना लगभग 45 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है, जबकि एरिया घटने की वजह से इसका उत्पादन 2023-24 में सिर्फ 33.85 लाख टन ही रह गया था. मांग और आपूर्ति में करीब 11 लाख टन की कमी रह गई. जिससे दाम बढ़ गया. बहरहाल, अब हालात बदल रहे हैं और इस साल सरकार उम्मीद कर रही है कि 49 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई का टारगेट पूरा हो जाएगा.
ये तो रही अरहर की बात. इस साल मक्का, मूंगफली, सोयाबीन और गन्ने का उत्पादन भी बढ़ सकता है. क्योंकि बुवाई का क्षेत्र बढ़ गया है. अच्छी बात यह है कि देश को जिन फसलों की ज्यादा जरूरत थी उनका एरिया बढ़ा है. कृषि मंत्रालय के अनुसार 16 अगस्त तक देश में 87.23 लाख हेक्टेयर में मक्का बोया जा चुका है, जबकि इसका सामान्य एरिया 76.96 लाख हेक्टेयर है. हालांकि, सरकार ने इस साल 89.81 लाख हेक्टेयर में मक्का बुवाई टारगेट सेट किया है, जिसमें सबसे ज्यादा लक्ष्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान को दिया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल 16 अगस्त तक 125.11 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है, जबकि देश में इसका सामान्य एरिया 122.95 लाख हेक्टेयर ही है. सोयाबीन प्रमुख तिलहन फसल है, इसलिए इसकी बुवाई जितनी बढ़ जाए उतना ही अच्छा है. केंद्र सरकार ने 128.6 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई का टारगेट सेट किया है. जिसमें मध्य प्रदेश को 55.7 और महाराष्ट्र को 50.8 लाख हेक्टेयर की बुवाई का लक्ष्य दिया गया है. ये दोनों राज्य लगभग अपने लक्ष्य जितनी बुवाई पूरी कर चुके हैं.
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