भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor) ने बुधवार को कृषि क्षेत्र की तारीफ की. उन्होंने कहा कि रबी सीजन में हुई बुवाई (Rabi Sowing) से संकेत साफ है कि आगे की स्थिति मजबूत दिख रही है. उन्होंने कहा कि देश का कृषि क्षेत्र मजबूत बना हुआ है और रबी की बुवाई पूरी मजबूती के साथ शुरू हुई है. हालांकि खरीफ (Kharif) के उत्पादन में थोड़ी कमी होती दिख रही है क्योंकि असमान मॉनसूनी बारिश ने इस पर असर डाला है. आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार खरीफ फसलों की उपज 14.99 करोड़ टन रहेगी जो कि पिछले साल की इसी अवधि में 15.60 करोड़ टन रही थी.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक, देश में अभी तक सामान्य बुवाई से 6.8 फीसद अधिक रबी फसलों की बुवाई हुई है. यह आंकड़ा 2 दिसंबर, 2022 तक का है. एक साल का हिसाब लगाएं तो गेहूं की बुवाई में 5.36 परसेंट की तेजी है और यह रबी सीजन के शुरुआती दो महीनों में 211.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जा चुका है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय का आंकड़ा बताता है कि राजस्थान, बिहार और उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक गेहूं की बुवाई हुई है.
कृषि क्षेत्र के इन संकेतों से कुछ बातें साफ होती नजर आ रही हैं. अगर रबी सीजन में फसलों की बुवाई अधिक हो रही है, सामान्य रकबे से अधिक क्षेत्र में फसलें लगाई जा रही हैं, तो बंपर उपज की उम्मीद कर सकते हैं. ऐसे में खाद्य महंगाई (Inflation) को मात देने में खेती-किसानी कारगर हथियार बनकर उभरेगी. खेती अच्छी होगी, उपज अधिक होगी तो अगले साल महंगाई दर पर नकेल कसना आसान होगा. इस साल महंगाई दर में तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह खाद्य महंगाई रही है जिसे नियंत्रण में करने के लिए RBI कई कदम उठा रहा है. इसी के तहत कई बार रेपो रेट बढ़ाए गए हैं. नई बढ़ोतरी बुधवार को की गई.
रबी फसल में मुख्य नाम गेहूं का है जिसकी बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है. इसकी कटाई मार्च-अप्रैल में होती है. गेहूं, चावल और दालें जैसे कि चना, उड़द, तिलहन में मूंगफली और सरसों की बुवाई इसी सीजन में की जाती है. इस बार रबी सीजन के फसलों की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है जिसे लेकर रिजर्व बैंक भी आशान्वित है. रबी बुवाई में तेजी का बड़ा फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है जहां फसलों के उत्पादन पर बहुत कुछ निर्भर करता है. आरबीआई गर्वनर रबी बुवाई में तेजी को अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जोड़कर देख रहे हैं.
शक्तिकांत दास का मानना है कि कृषि क्षेत्र में मजबूती से ग्रामीण क्षेत्र से मांग बढ़ेगी, इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आएगी और क्रेडिट सर्विस में बड़ा उछाल देखा जाएगा. ये सभी फैक्टर अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाने वाले संकेत हैं.
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