भारत भारी मात्रा में दालों के उत्पादन के बावजूद कई देशों से विभिन्न दालों के आयात के लिए निर्भर है. पिछले कुछ सालों में घरेलू बाजार में खुदरा कीमतों को कंट्रोल में रखने के लिए सरकार ने बड़ी मात्रा में दालों का आयात किया और कई दालों का शुल्क मुक्त आयात अभी जारी है. लेकिन इस बीच, नए वित्त वर्ष की शुरुआत के दो महीनों यानी अप्रैल और मई में दाल के आयात में करीब 37 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. वहीं, दालों का कारोबार 492 मिलियन डॉलर रह गया है, जबकि पिछले साल अप्रैल- मई में 782 मिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था.
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि दाल के आयात में यह गिरावट मांग में कमी की वजह से आई है और पीली मटर (Yellow Peas) और चना (Chickpeas) की खरीद कम हुई है. 'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, IGrain इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि पिछले साल रिकॉर्ड मात्रा में दाल का आयात किया गया था, लेकिन इस बार मांग कमजोर रही है, इसलिए अप्रैल-मई के दौरान आयात में तेज गिरावट देखी गई. वहीं, इस साल मॉनसून सीजन में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान है. ऐसे में दालों का घरेलू उत्पादन भी मजबूत रहने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय के 20 जून तक के ताजा खरीफ बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, इस सीजन में दलहन फसल की बुवाई में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दलहन में सबसे ज्यादा बढ़त मूंग की बुवाई में देखी गई है. इस साल 20 जून तक 4.43 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुवाई हुई है, जो पिछले साल तक इस अवधि में 2.67 लाख हेक्टेयर थी.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 1.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक मात्र 62 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी और वहीं अब तक (20 जून तक) अन्य दालों की बुवाई 94 हजार हेक्टेयर रकबे में हुई है, जो पिछले साल 67 हजार हेक्टेयर तक पहुंची थी.
लेकिन इस साल अरहर यानी तुअर दाल की फसल बुवाई में कमी देखी गई है. 20 जून तक 2.48 लाख हेक्टेयर में तुअर की बुवाई हुई है, जो पिछले साल 2.61 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी थी. हालांकि, आगे तुअर की बुवाई तेजी पकड़ सकती है. वहीं,
सरकार की ओर से अभी तुअर, उड़द और पीली मटर के आयात पर ड्यूटी नहीं लगाई गई है. ऐसे में शुल्क मुक्त आयात मार्च 2026 तक चलेगा. यानी कि सरकार उत्पादन को तो बढ़ावा देने का काम कर रही है. साथ ही साथ बाजार में सप्लाई को सुचारु और कीमतों को नियंत्रित भी रखना चाहती है.
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