इस रबी सीजन में मौसम ने किसानों का साथ नहीं दिया है. पहले तेज सर्दी में पाला, फिर सामान्य से ज्यादा तापमान और फिर मार्च के महीने में बारिश-ओलावृष्टि ने किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. बेमौसम बरसात-ओलावृष्टि से गेहूं की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. फसल का दाना काला हो गया. वहीं, गेहूं का दाना टूट गया. फसल कटने के बाद किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बिक पा रही है. प्रदेश के अलग-अलग जिलों से ऐसी शिकायतें किसान लगातार कर रहे हैं. ऐसे में सरकार ने पिछले दिनों बारिश से प्रभावित हुई फसल को भी खरीदने की बात कही. इससे किसानों में एक उम्मीद जगी है, लेकिन इस खरीद के लिए सरकार ने कुछ नियम तय कर दिए हैं.
यही नियम किसानों की परेशानी का सबब बन सकते हैं.
सरकार ने एक तरह बारिश-ओलावृष्टि से प्रभावित फसलें खरीदने को मंजूरी दी है. वहीं, दूसरी ओर एक नियम भी बना दिया है. इसके तहत अगर फसल में 6% से ज्यादा खराबी है तो प्रति क्विंटल 31.86 रुपये की कटौती होगी. इससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान होगा.
इसी नियम के चलते किसान अपनी उपज मंडी में बेचने की बजाय खुले बाजार में बेचने को तरजीह दे रहे हैं. सरकार की ओर से 18 प्रतिशत तक सिकुड़े, टूटे दानों को भी खरीदा जाएगा. लेकिन इसमें शर्त यह है कि छह प्रतिशत तक टूटे-सिकुड़े दाने पर कोई कटौती नहीं होगी. 6-18 प्रतिशत तक 31.86 रुपये की कटौती की जाएगी.
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टूटे-सिकुड़े दानों के अलावा बारिश से गेहूं की चमक भी फीकी हुई है. इसीलिए सरकार उपज में 6 से 80 प्रतिशत तक चमक कम होने पर खरीद तो करेगी, लेकिन प्रति क्विंटल 5.31 रुपये कटौती भी करेगी. छह प्रतिशत तक चमक कम होने पर कोई कटौती नहीं की जाएगी.
इस तरह टूटे-सिकुड़े एवं चमक कम होने पर कुल 37.17 रुपये प्रति क्विंटल तक कटौती होगी. कटौती की राशि एमएसपी की राशि 2125 में से काटी जाएगी. बता दें कि इस साल राजस्थान में गेहूं की करीब 30 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी. इसमें से बारिश और ओलों के कारण करीब चार लाख हेक्टेयर फसल खराब हो गई. इसमें 10 से 80 प्रतिशत तक का खराबा हुआ था.
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किसान एक तरफ सरकार की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन छह प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की मांग भी कर रहे हैं. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट किसान तक से कहते हैं कि इस बार मौसम ने किसानों का साथ नहीं दिया. सरकार ने टूटे-सिकुड़े और चमक विहीन गेहूं खरीदने की पहल अच्छी है, लेकिन इसकी सीमा कम से कम 20 प्रतिशत की जानी चाहिए. ताकि जिन किसानों का ज्यादा नुकसान हुआ, उनकी कुछ भरपाई हो सके.
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