महाराष्ट्र में तीन महीने तक चलेगी सरकारी खरीद (सांकेतिक तस्वीरों)महाराष्ट्र के किसानों को राज्य सरकार की तरफ से एक बड़ी राहतभरी खबर सुनाई गई है. दो दिन पहले ही राज्य सरकार ने सोयाबीन, मूंग और उड़द जैसी प्रमुख मौसमी फसलों की खरीद 15 नवंबर से करने का फैसला किया है. अब इस बारे में जो नई जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार सरकार ने गारंटीशुदा कीमतों पर खरीद के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट बढ़ा दी है. पहले रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 30 नवंबर, 2025 तय की गई थी. लेकिन किसानों की तरफ से सरकार से किए गए अनुरोध और तकनीकी खामियों के चलते अब यह तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2025 तक कर दी गई है. जिन किसानों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, उन्हें इस ऐलान से बड़ी राहत मिली है.
राज्य में सोयाबीन, मूंग और उड़द फसलों की खरीद प्रक्रिया 15 नवंबर से शुरू होगी और अगले 90 दिनों तक जारी रहेगी. सरकार ने इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा कर दी है. इसके अनुसार, मूंग के लिए 8,768 रुपये प्रति क्विंटल, उड़द के लिए 7,008 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन के लिए 5,328 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मूल्य निर्धारित किया गया है. यह खरीद प्रक्रिया नैफेड और राज्य एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के जरिये से की जाएगी. राज्य भर के कई जिलों में खरीद केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. नागपुर जिले में भिवापुर, कलमेश्वर, काटोल, उमरेड, नरखेड़, सावनेर और रामटेक में खरीद केंद्र की मंजूरी दी गई है. किसानों को अपनी उपज इन केंद्रों पर बेचनी होगी, जिसके लिए प्री-रजिस्ट्रेशन जरूरी है.
महाराष्ट्र में इस बार ज्यादा बारिश की वजह से फसलों को बहुत नुकसान हुआ है. थोक बाजार में इस समय सोयाबीन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम चल रही हैं. किसान पिछले काफी समय से सरकारी खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. उड़द और मूंग की कीमतें भी इस समय एमएसपी से नीचे चल रही हैं. नैफेड से गारंटीड कीमत पर सोयाबीन बेचने के लिए हर किसान को ऑनलाइन या सर्विस सेंटर के जरिये से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. नैफेड ने साफ कर दिया है कि रजिस्ट्रेशन के बिना किसी भी किसान को खरीद प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा.
रजिस्ट्रेशन कराते समय किसान इस बात का ध्यान रखें कि वो अपने करीब खरीद सेंटर का नाम सही ढंग से चुनें क्योंकि अगर एक बार रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद सेंटर में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा. किसान सिर्फ अपने ही नाम से फसल बेचने की कोशिश करें और किसी भी फर्जी पहचान पत्र का प्रयोग न करें.
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