महाराष्ट्र में तुअर की खेती पहले नंबर पर बनी हुई हैखरीफ 2025-26 सीजन के लिए महाराष्ट्र की अंतिम दलहन बुवाई रिपोर्ट कुछ चौंकाने वाली जानकारी देती है. रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले पांच साल में प्रमुख फसलों की उपज एक तरह की नहीं रही बल्कि उसमें बहुत उतार-चढ़ाव देखा गया. महाराष्ट्र कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जहां कुछ दलहन फसलों का रकबा बढ़ा है, वहीं बारिश के पैटर्न में अंतर और किसानों की बदलते रुझान के कारण अन्य फसलों के रकबे में भारी गिरावट देखी गई है.
महाराष्ट्र की प्रमुख खरीफ दलहन, तुअर (अरहर), 12,26,440 हेक्टेयर में बोई गई है - जो पांच साल के औसत का 96 प्रतिशत और पिछले साल के लगभग बराबर है. पिछले साल से रकबा बराबर है, उससे पता चलता है कि मॉनसून और बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद किसान तुअर पर निर्भर हैं. हालांकि अधिकारी बताते हैं कि कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद हाल के वर्षों में इसकी खेती में कोई बहुत बड़ी वृद्धि नहीं हुई है.
मूंग (हरा चना) में बल्कि गिरावट दर्ज की गई है, जिसकी बुवाई 2,11,318 हेक्टेयर में हुई है, जो पांच साल के औसत का 70 प्रतिशत और पिछले साल के रकबे का 89 प्रतिशत है. यह गिरावट फसल में किसानों के कम होते भरोसे को दिखाती है.
दूसरी ओर, उड़द (काला चना) की बुवाई में अच्छा रुझान दिखाई दे रहा है, जो 3,78,257 हेक्टेयर में फैला है. यह आंकड़ा पिछले पांच वर्षों के औसत का 105 प्रतिशत और पिछले साल की बुवाई का 97 प्रतिशत है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाजार में अच्छी कीमतों और कम बारिश में भी अच्छी पैदावार मिलने की वजह से किसान तेजी से उड़द की ओर रुख कर रहे हैं. लोबिया, मोठ और राजमा सहित अन्य दलहनों की बुवाई 68,575 हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले पांच साल के औसत का 75 प्रतिशत और पिछले साल की बुवाई का 96 प्रतिशत है.
कुल मिलाकर, दलहनों का कुल क्षेत्रफल 18,84,591 हेक्टेयर तक पहुंच गया है - जो पिछले पांच वर्षों के औसत का 93 प्रतिशत और पिछले साल की बुवाई का 98 प्रतिशत है. यह धीमी वृद्धि कुछ चिंता पैदा करने वाली है, खासकर तब जब मक्का जैसी अनाज वाली फसलों का उत्पादन पांच साल के औसत के 156 प्रतिशत और इस सीजन में 130 प्रतिशत तक बढ़ गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट बारिश के पैटर्न में अंतर और बढ़ती लागत को लेकर किसानों में सावधानी को दिखाता है.
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान टॉप तीन दलहन उगाने वाले राज्य बने हुए हैं, जो भारत के दलहन उत्पादन में लगभग 55 प्रतिशत का योगदान करते हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश बना हुआ है.
नीति आयोग (2025) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का दलहन उत्पादन लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें तकनीकी प्रगति की कमी, अधिक उपज देने वाली किस्मों की कमी, कम बीज उपलब्धता और बारिश आधारित खेती पर अधिक निर्भरता शामिल हैं. ये सभी फैक्टर पैदावार और प्रोडक्टिविटी को कमजोर करते हैं और लाभ को कम करते हैं, जिससे कई किसान दूसरी फसलों की ओर रुख करते हैं.
लातूर के किसान रामकृष्ण भोलसे ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, "सोयाबीन और अन्य फसलों की तुलना में, दालों से हमें मुश्किल से ही कोई लाभ मिलता है, और हमारी ज्यादातर उपज घरेलू बाजार में जाती है. हाल के वर्षों में, ज्यादा किसान दूसरी नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं."
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