राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 का बिगुल फुंक चुका है. किसान तक लगातार किसानों के मुद्दों आपके सामने ला रहा है. इसीलिए किसान तक राजस्थान में इलेक्शन कवरेज भी कर रहा है. इस विशेष कवरेज का नाम है राजस्थान इलेक्शन कारवां. कारवां में किसान तक ने अलवर में किसानों से बात की. यह क्षेत्र मेवात के नाम से जाना जाता है और प्याज की खेती के लिए खासा प्रसिद्ध है. मेवात की प्याज भारत के कई राज्यों में निर्यात भी होती है. हम मालाखेड़ा के कई गांवों में पहुंचे. मालाखेड़ा के कई गांव सिर्फ प्याज उगाते हैं.
इलेक्शन कारवां में किसानों ने प्याज के फायदे गिनाए तो बीते कुछ सालों से एक रोग के कारण होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया.
मालाखेड़ा के कई गांवों में प्याज के किसान एक जलेबी रोग से परेशान हैं. इस रोग से प्याज की गांठ नहीं बन पा रही और सूख कर खराब हो रही है. किसान तक यहां के महुआ खुर्द गांव में पहुंचा. अधिकतर किसान यहां दो से सात-आठ बीघा में प्याज उगाते हैं. किसान राजाराम चौधरी बताते हैं कि तीन साल से जलेबी रोग की वजह से उत्पादन काफी घटा है.
इस रोग से प्याज सूख जाती है. कई बार हमने कृषि विभाग को जानकारी दी, लेकिन विभाग के पास भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. एक अन्य किसान दीनू खां बताते हैं कि चार साल पहले नुकसान कम था, लेकिन अब तीन साल से तो उत्पादन एकदम ही गिर गया है. प्याज का पौधा खेत में ही गोल-गोल घूमकर सूख जाता है. अंदर प्याज भी नहीं बनती.
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किसान तक से प्याज के ही एक और किसान शेर सिंह कहते हैं कि प्याज ने इस क्षेत्र के किसानों को बीते दो दशक में काफी कुछ दिया है. आज खेत में आप जो भी मकान आप देख रहे हैं वो सब प्याज की ही देन है. इसीलिए हमारे यहां एक कहावत है कि किसानों को प्याज ने डुबोया है तो प्याज ही इन्हें फिर से उठाएगा.
मालाखेड़ा में विधानसभा सीट अलवर ग्रामीण है. जिस पर कांग्रेस के टीकाराम जूली विधायक है. जूली राजस्थान सरकार ने कैबिनेट मंत्री भी हैं. इन पर श्रम विभाग की जिम्मेदारी है. किसानों का कहना है कि हमारा विधायक सरकार में मंत्री था, लेकिन फिर भी जलेबी रोग का समाधान नहीं हो पाया.
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मेवात के प्याज किसानों को हर साल लाखों का घाटा इस रोग की वजह से हो रहा है. इसीलिए राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में हमारी सबसे बड़ी मांग और समस्या इस जलेबी रोग की ही है. इसीलए इन चुनावों में इस समस्या का समाधान होना चाहिए.
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