किसान महापंचायत की ओर से 18 जुलाई को राजस्थान विधानसभ का घेराव किया जाएगा. 15वीं विधानसभा के आठवें सत्र की शुरूआत 14 जुलाई को हुई है. ऐसे में किसानों की मांगों को लेकर किसान महापंचायत विधानसभा का घेराव करेगी. महापंचायत के पदाधिकारियों का दावा है कि खेत को पानी-फसल को दाम कि मुख्य मांग को लेकर हजारों की संख्या में किसान जयपुर पहुंचेंगे.
साथ ही ईआरसीपी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग भी की जाएगी.
किसान महापंचायत के इस पूरे कार्यक्रम को लेकर किसान तक ने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट से बात की. वे बताते हैं, “ वर्तमान में केंद्र में भाजपा एवं राजस्थान में कांग्रेस शासन कर रही है. दोनों ही दल न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में कानून बना सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा.
केंद्र सरकार राज्यसभा में संकल्प पारित कराने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बना सकती है. इसी संबंध में प्रधानमंत्री की ओर से बनाई गई समिति का विचार मंथन भी पूरा हो चुका है. इसीलिए किसानों के हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुनिश्चितता के लिए खरीद की गारंटी का कानून बनाना अब आवश्यक है.”
रामपाल जाट जोड़ते हैं, “अगर केन्द्र एमएसपी खरीद पर गारंटी कानून नहीं बना रहा तो राज्य सरकार एक छोटे से संशोधन से लाखों किसानों को लाभ दे सकती है. न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में एवं क्रय -विक्रय को रोकने के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 की धारा 9 [2] [xii] में प्रावधान है. जो अभी बाध्यकारी नहीं है. इसे एक शब्द बदलकर बाध्यकारी (आज्ञापक) बनाया जा सकता है.
इसी तरह राजस्थान कृषि उपज मंडी नियम 1963 के नियम 64[3] में कृषि उपजों के मूल्य निर्धारण के लिए खुली नीलामी बोली का प्रावधान है. इसमें 'न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही शुरू होगी नीलामी बोली' शब्द जोड़कर एमएसपी पर खरीद की गारंटी का रास्ता खोला जा सकता है. इससे किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सकेंगे.
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इसके अलावा केन्द्र सरकार ने भी कृषि सुधारों के अन्तर्गत आदर्श कृषि एवं पशुपालन (सुविधा एवं सरलीकरण) अधिनियम 2017 में प्रावधान किया हुआ है. उसी के आधार पर राजस्थान में वर्ष 2018 में अधिनियमन का प्रारूप तैयार किया हुआ है.
रामपाल जोड़ते हैं कि इस प्रकार दोनों ही सत्तारूढ़ दलों के पास न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने का उपाय एवं अवसर हैं. जरूरत सिर्फ राजनीतिक इच्छाशक्ति की है. कांग्रेस पार्टी तो किसान आंदोलन के समय से किसानों को निरंतर समर्थन देती रही है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य का विषय प्रमुख था. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसी संबंध में सार्वजनिक रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी के कानून की बात कह चुके हैं.
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विधानसभा घेराव कार्यक्रम में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना भी हमारी मुख्य मांगों में से एक है. जाट कहते हैं, “2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस परियोजना के बारे में सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही थी, लेकिन पांच साल बाद भी योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया है.
दोनों पार्टियों के बीच इस परियोजना का श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है. राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में 13 जिलों की 3 करोड़ से अधिक की जनसंख्या को पेयजल और सिंचाई का पानी नहीं मिल पा रहा है.”
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