Opium Cultivation: सरकारी कंट्रोल पर क्यों और कैसे होती है अफीम की खेती? ऐसे मिलेगा लाइसेंस

Opium Cultivation: सरकारी कंट्रोल पर क्यों और कैसे होती है अफीम की खेती? ऐसे मिलेगा लाइसेंस

Opium Cultivation: भारत में अफीम की खेती करके आप बहुत मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. मगर अफीम की खेती हर किसान को करने की इजाजत नहीं है. अफीम के लिए सरकार अलग से लाइसेंस देती है और इसकी खेती के लिए बेहद सख्त नियम-कानून भी हैं. इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि अफीम की खेती लाइसेंस पर क्यों होती है और इसका लाइसेंस आप कैसे मिलेगा.

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सरकारी कंट्रोल पर क्यों और कैसे होती है अफीम की खेती? ऐसे मिलेगा लाइसेंस अफीम की खेती के लिए बेहद सख्त नियम

ये तो सब जानते हैं कि अफीम एक नशीला और औषधीय पदार्थ है और इसकी खेती सरकारी कंट्रोल में होती है. इसके लिए सरकार की अलग से अफीम नीति भी होती है, जिसके तहत चुनिंदा किसानों के इसकी खेती के लिए सरकारी लाइसेंस भी दिया जाता है. अफीम की सरकारी नियंत्रण में खेती इसलिए कराई जाती है ताकि नशीला पदार्थ होने की वजह से इसका दुरुपयोग ना हो सके और साथ ही अपराधियों और तस्करों की पहुंच से दूर रखा जा सके. लिहाजा आज हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं कि अफीम की खेती पर सरकार कैसे नियंत्रण रखती है और इसका लाइसेंस कैसे मिलता है.

क्यों इतनी खास है अफीम?

दरअसल, भारत उन गिने-चुने देशों में से एक है जहां कानूनी तौर पर अफीम की खेती होती है और एकमात्र देश है जो कानूनी तौर पर अफीम गोंद का उत्पादन करता है. अफीम गोंद (पैपेवर सोम्निफेरस) का पौधा अफीम गोंद का स्रोत है जिसमें मॉर्फिन, कोडीन और थेबाइन जैसे कई आवश्यक एल्कलॉइड होते हैं. बता दें कि मॉर्फिन दुनिया का सबसे अच्छा दर्द निवारक है. कैंसर के गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों जैसे अत्यधिक और असहनीय दर्द में मॉर्फिन के अलावा कोई और चीज दर्द से राहत नहीं दिला सकती. वहीं कोडीन का इस्तेमाल आमतौर पर कफ सिरप बनाने में किया जाता है.

नारकोटिक्स विभाग करता है कंट्रोल

बता दें कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार चिकित्सा और वैज्ञानिक जरूरतों के लिए अफीम की खेती की अनुमति देती है और उसे रेगुलेट करने का अधिकार देती है. भारत सरकार ही हर साल उन क्षेत्रों को अधिसूचित करती है जहां अफीम की खेती के लिए लाइसेंस दिया जा सकता है. इसके अलावा लाइसेंस जारी करने की सामान्य शर्तें भी सरकारी ही जारी करती है. सरकारी की इन्हीं अधिसूचनाओं को आमतौर पर अफीम नीतियां कहा जाता है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अधिसूचित क्षेत्रों में अफीम की खेती की इजाजत दी जाती है. इसमें सामान्य शर्तों के अलावा, इन तीनों राज्यों के किसानों द्वारा अगले वर्ष लाइसेंस के लिए पात्र होने हेतु, प्रस्तुत की जाने वाली न्यूनतम अर्हक उपज (MQY) शामिल होती है.

खेती की बेहद सख्त शर्तें

  • नारकोटिक्स आयुक्त के अधीन केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN), ग्वालियर (मध्य प्रदेश), किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस जारी करता है.
  • खास बात ये है कि सीबीएन के अधिकारी प्रत्येक किसान के हर खेत की व्यक्तिगत रूप से नाप-जोख करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसान लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र से अधिक अफीम ना उगाएं.
  • जब फसल हो जाए तो किसानों को अपनी पूरी उत्पादित अफीम सीबीएन को सौंपनी होती है. अफीम की उपज को सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर कीमत चुकाई जाती है.
  • इसके अलावा सीबीएन फसल के मौसम के दौरान किसान के लिए तौल केंद्र स्थापित करता है और किसान अपनी अफीम इन्हीं निर्धारित केंद्रों पर अफीम लाकर सीबीएन को सौंपते हैं.
  • निर्धारित केंद्रों के अलावा कहीं और बाहर अफीम बेचने या तस्कर करने पर किसानों पर बेहद सख्त कानूनी कार्रवाई होती है.

कैसे मिलेगा लाइसेंस?

अगर आप भी अफीम की खेती के लिए लाइसेंस लेना चाहते हैं तो ये जान लें कि हर क्षेत्र के किसानों को इसका लाइसेंस नहीं मिलता है. ये वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी किया जाता है. इस लाइसेंस में ये भी तय किया जाता है कि किसान कितनी भूमि पर अफीम की खेती कर सकता है.

लाइसेंस और इसकी खेती से जुड़ी शर्तों को जानने के लिए आप क्राइम ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की वेबसाइट (http://cbn.nic.in/en/opium/forms) पर जाकर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं. इस फॉर्म में सभी जरूरी जानकारी और दस्तावेज लगाकर आवेदन करिए. अगर आपका आवेदन स्वीकार हो जाता है तो फिर नारकोटिक्स विभाग के इंस्टीट्यूट्स से अफीम का बीज मिल जाएगा.

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