राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने दावा किया है कि इस मॉनसून में अब तक राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 193 लोगों की मौत हो चुकी है, जो इस सीजन में अब तक की सबसे ज्यादा मौतें हैं. वहीं उन्होंने खरीफ की कितनी फसल चौपट हुई है, यह आंकड़ा भी जारी किया है. मीणा पिछले दिनों झालावाड़ के पीपलोदी गांव से जयपुर जाते समय बारां में कुछ देर रुके थे और यहीं पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कई अहम जानकारियां दी. मंत्री ने कहा कि राज्य में फसलों को भारी नुकसान हुआ है और राज्य सरकार इस पर एक सर्वेक्षण करा रही है, जो 15 सितंबर तक पूरा हो जाएगा.
मीणा ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए नकली खाद, बीज और कीटनाशकों के खिलाफ सख्त कानून लाने की तैयारी में है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में सबसे ज्यादा बारिश हुई है जिसमें बारां जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. मीणा ने बताया कि राज्य के सभी बांध पानी से लबालब हैं. किरोड़ी लाल मीणा के अनुसार, 'इस मॉनसून में राज्य में बारिश से जुड़ी घटनाओं में अब तक कम से कम 193 लोगों की मौत हो चुकी है जो अब तक की सबसे ज़्यादा संख्या है.' मीणा के अनुसार बारां जिले में 13 लोगों की मौत हुई है और आठ परिवारों को मुआवजा दिया गया है.
कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि इस मौसम में खरीफ की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. उनकी मानें तो राज्य में कुल मिलाकर 40-70 प्रतिशत फसलों को नुकसान हुआ है. मीणा ने पहले कहा था कि 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल नुकसान वाले किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है, जिसे केंद्र ने घटाकर 35 प्रतिशत कर दिया है. हाल के हफ्तों में उत्तर भारत के ज्यादातर हिस्से में लगातार बारिश हुई है. इससे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश व अन्य जगहों पर कई लोगों की मौत हो गई है.
एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 22 जिलों में फसलों का भारी नुकसान हुआ है. करीब 15 जिलें ऐसे हैं जहां पर नुकसान 50 फीसदी से ज्यादा है. कई जिलों में तो खेत तालाब में तब्दील हो गए हैं और कहीं पर फसलें गल चुकी हैं. राज्य सरकार की तरफ से गिरदावरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. राज्य में खरीफ के सीजन में मूंग, उड़द, सोयाबीन, बाजरा, मक्का, तिल और धान प्रमुख फसलें बोई गई थीं. बारिश ने सबसे ज्यादा नुकसान दलहन और तिलहनी फसलों को पहुंचाया है. कई जगह तो मूंग और उड़द गलकर खेतों में ही सड़ गई हैं तो सोयाबीन और बाजरा की स्थिति भी ठीक नहीं है. बाकी फसलों जैसे मिर्च, ग्वार, मूंगफली और मक्का आदि का भी यही हाल है.
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