
पंजाब से बीकानेर कैनाल में पानी नहीं मिलने का मुद्दा अब राजनीतिक भी होता जा रहा है. इस बीच पंजाब ने गंगनहर में पानी की मात्रा बढ़ाकर 2200 क्यूसेक किया है. किसानों का नहरी प्रशासन के साथ 2200 क्यूसेक पानी के लिए समझौता भी हुआ है. हालांकि किसानों का सांकेतिक धरना चालू है और जारी रहेगा. किसान संगठनों का कहना है कि अगस्त महीने के लिए हमें 2800 क्यूसेक पानी मिलना था, लेकिन अभी 2200 क्यूसेक पानी मिलना शुरू हुआ है.
बता दें कि कई किसान संगठन बीते 14 दिनों से श्रीगंगानगर के महाराजा गंगासिंह चौराहे पर धरने पर बैठे हैं.
किसानों को पानी नहीं मिलने पर राजनीति भी जबरदस्त होने लगी है. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि किसानों की यह स्थिति पहली बार हुई है. किसान खून के आंसू रो रहा है. फसलें सूख गई हैं. राज्य सरकार किसानों की परीक्षा लेने की बजाय किसानों को पूरा पानी दिलाने की कोशिश करे. किसानों के ही समर्थन में आज भाजपा ने भगत सिंह चौक पर प्रदर्शन भी किया है.
इसमें भाजपा के सीनियर लीडर और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर पंजाब में जाकर किसानों की जमीन बेची हैं. राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गुप्त समझौता कर लिया है और यही कारण है कि राजस्थान का सिंचाई मंत्री पानी लेने पंजाब जाता है और वहां जाकर अपने हिस्से की जमीन भी पंजाब को बेचने का षड़यंत्र कर देता है. राठौड़ कहा कि अगर उस जमीन पर पंजाब ने एक और नहर का निर्माण कर लिया तो राजस्थान के किसानों को एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा.
ग्रामीण किसान मजदूर समिति से जुड़े रामकुमार सहारण ने किसान तक को बताया कि भले ही किसानों का प्रशासन के साथ समझौता हो गया है, लेकिन हमारा धरना जारी है. हम देखेंगे कि क्या पंजाब से पूरा 2200 क्यूसेक पानी मिलेगा या नहीं? अगर नहीं मिला तो किसान संगठनों का प्रदर्शन और सख्त होगा.
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बता दें कि पंजाब से बीकानेर कैनाल में पानी नहीं छोड़े जाने के कारण गंगनहर की कई छोटी नहरों में पानी बंद है. इसीलिए किसान खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि पंजाब ने सोमवार को 1500 क्यूसेक से बढ़ाकर 2040 क्यूसेक किया. मंगलवार को यह बढ़कर करीब 2200 क्यूसेक हो गया है.
राजस्थान में अगस्त के महीने में औसत से भी कम बारिश हुई है. वहीं, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जैसे जिलों में किसानों पर भारी संकट आ गया. ये क्षेत्र खेती के लिहाज से काफी संपन्न है. नहर में पानी नहीं मिलने के कारण कपास, मूंग के साथ-साथ कई फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं. हालांकि गंगानगर के कुछ इलाकों में बीते दिनों हल्की बारिश भी हुई है. लेकिन धान, कपास के ज्यादा पानी चाहिए.
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बता दें कि 8 अगस्त से जारी किसानों के इस विरोध में ग्रामीण किसान मजदूर समिति के साथ-साथ 5-6 किसान संगठन भी शामिल हुए हैं. रामकुमार सहारण बताते हैं कि पानी नहीं होने से गंगनहर क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में कपास, मूंग, ग्वार, मूंगफली व बागवानी फसलें प्रभावित हुई हैं. किसान लगातार दो सिंचाई नहीं कर सके हैं.
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