
श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के सैंकड़ों किसानों ने मंगलवार को भाखड़ा प्रणाली से 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग पर धरना किया. शाम को सिंचाई विभाग से पानी मिलने के आश्वासन पर किसानों ने अपना धरना खत्म किया. ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान हनुमानगढ़ में सिंचाई विभाग दफ्तर के सामने डटे रहे. दो दौर की बातचीत के बाद शाम छह बजे किसानों ने धरना समाप्त करने की घोषणा की. इससे पहले किसान प्रतिनिधियों की चीफ इंजीनियर अमरजीत सिंह मेहरड़ा के साथ बातचीत हुई. पहल दौर की बातचीत बेनतीजा रही. फिर दोपहर बाद किसानों की मांग के अनुसार पानी मिलने के आश्वासन पर धरना खत्म किया गया.
करीब छह घंटे तक सैंकड़ों की तादाद में किसान अपनी मांग पर डटे रहे.
ग्रामीण किसान-मजदूर समिति के संतवीर सिंह कहते हैं, “इंदिरा गांधी नहर में 30 जून तक बंदी है. ऐसे में हमें नरमा बिजाई के लिए पानी नहीं मिल रहा. लेकिन इसका एक विकल्प भी है. वो यह कि प्रशासन सरहिंद नहर के जरिए किसानों को पानी दे सकती है. आईजीएनपी से पहले इसी नहर के जरिए हमें पानी मिलता था. प्रशासन कहता है कि इससे पंजाब की जरूरत ही पूरी होती है, लेकिन ऐसा नहीं है. पंजाब में सरकारी आदेश है कि वहां 15 जून से पहले धान की बुवाई नहीं होती. इसीलिए हमारी मांग है कि 15 जून तक सरहिंद नहर में आ रहे पानी को हमें बिजाई के लिए उपलब्ध कराया जाए.
संतवीर जोड़ते हैं, “भाखड़ा में पेयजल के लिए 400 क्यूसेक पानी की सप्लाई की जा रही है. इसीलिए अब सभी जगह पानी का भंडारण हो चुका है. ऐसे में किसानों को बिजाई के लिए पानी की जरूरत है. जो हमें नहीं मिल पा रहा है. इसीलिए आरडी 496 पर बनाए गए पौंड लेवल को तोड़कर कटाव पाटने की तैयारी शुरू की जाए. साथ ही किसानों को 850 क्यूसेक की जगह 1200 क्यूसेक पानी देना शुरू किया जाए. ये पानी गुरूवार यानी चार मई से देना शुरू किया जाए.”
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संतवीर जोड़ते हैं कि हमारी इस मांग पर चीफ इंजीनियर अमरजीत सिंह मेहरड़ा ने कहा कि आरडी 496 पर मंगलवार से मिट्टी के कट्टे भरवा लिए जाएंगे. उनकी कोशिश रहेगी कि किसानों को मांग के अनुसार पानी दिया जाए. इसके बाद किसानों ने चीफ इंजीनियर के कहने से धरना खत्म किया. लेकिन कहा कि अगर प्रशासन ने मांग के अनुसार पानी नहीं दिया तो किसान और भी ज्यादा संख्या में जमा होकर आंदोलन करेंगे.
संतवीर कहते हैं कि पहले दौर की बातचीत में चीफ इंजीनियर ने 850 क्यूसेक पानी छोड़ने की बात रखी. लेकिन इससे हमारी जरूरत पूरी नहीं हो रही. इसीलिए सभी किसान प्रतिनिधि 1200 क्यूसेक पानी देने की मांग पर अड़े रहे. अंत में दोपहर बाद हुई दूसरे चरण की वार्ता में प्रशासन ने 1200 क्यूसेक पानी छोड़ने का आश्वासन दिया.
मंगलवार को हुए किसानों के धरने के समर्थन में भारतीय जनता पार्टी के कई नेता भी पहुंचे. लेकिन किसानों ने उन्हें अपना मंच नहीं दिया. किसानों का कहना है कि यह सिर्फ किसानों की लड़ाई है ना कि किसी राजनीतिक दल की. हालांकि किसानों ने सभी नेताओं का स्वागत किया, लेकिन प्रशासन के साथ हुई बातचीत में बीजेपी नेताओं को शामिल नहीं किया.
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संतवीर कहते हैं कि बीजेपी नेता धरने में इसीलिए पहुंचे क्योंकि इस मुद्दे से हनुमानगढ़ जिले की पांच विधानसभा सीट जुड़ी हैं. हजारों की संख्या में किसान परिवार इससे जुड़े हुए हैं. फिलहाल नरमा बिजाई के लिए पानी की जरूरत है इसीलिए राजनीतिक दल खासकर बीजेपी नेता इसका पॉलिटिकल फायदा लेना चाहते हैं.
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