राजस्थान को अगर पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में बांटकर देखें तो खेती के लिहाज से दोनों क्षेत्र संपन्न हैं. पूर्वी राजस्थान जहां सरसों के लिए देश में अलग स्थान रखता है तो पश्चिमी राजस्थान के चार जिले जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर और जोधपुर जीरा उत्पादन में अपनी अलग पहचान रखते हैं. ये चारों जिले सबसे अधिक जीरा उत्पादन करते हैं. सालाना करीब 5445 हजार करोड़ रुपये का जीरा संबंधित कारोबार होता है, लेकिन यहां के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए जोधपुर के अलावा एक मंडी तक नहीं है. लगभग 75 फीसदी किसान अपनी फसल बेचने के लिए गुजरात के ऊंझा में जाते हैं.
क्योंकि ऊंझा जीरे की सबसे बड़ी मंडी है. बाड़मेर, जैसलमेर जिलों में कुछ प्राइवेट कंपनी हैं, जो जीरा किसानों से अपनी शर्त पर उपज खरीदती हैं.
राजस्थान के पश्चिमी जिले जिन्हें आमतौर पर रेगिस्तानी जिले भी कहते हैं. ये जिले जीरा उत्पादन में अव्वल हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल राजस्थान में करीब 5.79 लाख हेक्टेयर में जीरा बोया गया था. बाड़मेर जिले के डांटा कृषि विज्ञान केन्द्र में विषय विशेषज्ञ शस्य डॉ. श्याम दास बताते हैं कि जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर और जोधपुर जिलों में हर साल करीब 4,57300 हेक्टेयर में जीरे की खेती हो रही है. इसमें 5445 करोड़ रुपये का जीरे का व्यापार होता है. कृषि विज्ञान केन्द्र प्रति हेक्टेयर करीब 400 किलो उत्पादन औसतन मानता है.
बाड़मेर- कृषि विज्ञान केन्द्र से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जीरे का कुल बुवाई क्षेत्र 1.71 लाख हेक्टेयर है. करीब 1.60 लाख किसान इस फसल से जुड़े हुए हैं. जिले में एक हेक्टेयर में करीब 400 किलो तक औसतन जीरा पैदा होता है. कुल उत्पादन 68.40 लाख टन है. फिलहाल जीरे की रेट औसतन 325 रुपये प्रति किलो यानी 32 से 34 हजार रुपये क्विंटल तक चल रहा है. इस तरह करीब अकेले बाड़मेर जिले में जीरे का 1500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है.
जालोर- जिले में जीरे का बुवाई क्षेत्र करीब 68300 हेक्टेयर है. जिलेभर में करीब 60 हजार किसान इसकी खेती करते हैं. वहीं, क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर करीब 400 किलो जीरा पैदा होता है. करीब 2.73 लाख टन जीरा प्रति वर्ष यहां पैदा होता है. फिलहाल चल रही रेट के हिसाब से जालोर जिले में करीब 900 करोड़ रुपये का कारोबार जीरे का होता है.
जैसलमेर- इस रेगिस्तानी जिले में इस साल 76 हजार हेक्टेयर में जीरे की खेती की गई है. यहां करीब 80-85 हजार किसान जीरे की खेती करते हैं. जिलेभर में करीब सात लाख क्विंटल जीरे का उत्पादन होता है. इस तरह जैसलमेर में करीब दो हजार करोड़ रुपये का जीरा हर साल पैदा हो रहा है.
जोधपुर- जोधपुर जिले ने जीरा उत्पादन में बहुत कम समय में अपनी पहचान बनाई है. यह करीब 1.42 लाख हेक्टेयर में जीरा उगाया जा रहा है. एक लाख से अधिक किसान इस खेती से जुड़े हैं. 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 5.68 लाख टन जीरा पैदा हो रहा है.
इस साल राजस्थान में 5.79 लाख हेक्टेयर में जीरे की फसल बोई गई है. कृषि विभाग के अनुसार मार्च के महीने में आई बारिश और ओलावृष्टि से करीब 86 हजार हेक्टेयर में फसल खराब हो गई. विक्रम कहते हैं, “इस साल बारिश और ओलावृष्टि से काफी फसल खराब हुई है, लेकिन सुखद बात यह है कि जीरे के भाव काफी अच्छे हैं. फिलहाल 325 से 340 रुपये प्रति किलो के भाव मंडियों में हैं. पिछले साल ये भाव 18 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक ही थे. इसीलिए बारिश से खराब हुई फसल की क्षतिपूर्ति अच्छे भाव से हो जाएगी. हम किसान तो इसी भाव को अपना मुआवजा समझ रहे हैं.”
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मंडी नहीं होने के कारण स्थानीय व्यापारी अपनी शर्तों पर किसानों से जीरा खरीद लेते हैं. कम भाव में खरीदकर ये व्यापारी अच्छी कीमत का इंतजार करते हैं. पिछले साल जिन व्यापारियों ने 18 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से जीरा खरीदा था. इस साल 32-34 हजार रुपये प्रति क्विंटल भाव होने से उन्हें जीरे पर लगभग दोगुना लाभ होगा. किसानों का कहना है कि अगर क्षेत्र में एक भी जीरे की स्पेशल मंडी हो तो उन्हें कम दामों में अपनी फसल नहीं बेचनी पड़ेगी.
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