
इस साल जीरे के भाव रिकॉर्ड स्तर तक बढ़े हैं. इससे किसानों को बीते महीने हुए नुकसान की भरपाई के तौर पर भी समझा जा सकता है. राजस्थान की अलग-अलग मंडियों में बीते तीन-चार दिन से जीरे के भाव 35 हजार प्रति क्विंटल से 42 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंचे हैं. अच्छे भाव मिलने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. हालांकि भाव अधिक होने से उपभोक्ताओं को इस साल जीरा काफी मिलेगा. क्योंकि मंडी में भावों के बाद बाजार में आने तक जीरे की लागत और बढ़ जाती है. इसीलिए बाजार के एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीरा बाजार में 500 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच सकता है.
बता दें कि प्रदेश में जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, जोधपुर में जीरे की पैदावार होती है.
राजस्थान की अलग-अलग मंडियों में जीरे का भाव भी अलग-अलग रहा. इसमें कम से कम 30 हजार रुपये प्रति क्विंटल तो अधिकतम 45 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक जीरा बिका. जोधपुर ग्रामीण मंडी में आठ अप्रैल को 1484 क्विंटल जीरे की आवक हुई. इसका कम से कम भाव 26,100 रुपये और अधिकतम 45,111 रुपये तक भाव गया. ये भाव पिछले 10 दिन में जीरे का सबसे अधिक भाव है.
इसी तरह जैतारण में जीरे का भाव 35 हजार रुपये प्रति क्विंटल रहे. वहीं, जोधपुर की बिलाड़ा मंडी में नौ अप्रैल को 33 क्विंटल जीरा पहुंचा. अधिकतम भाव 42,600 रुपये गया. वहीं, मॉडल रेट 35 हजार रुपये प्रति क्विंटल की थी. बिलाड़ा मंडी राजस्थान में जीरे की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है.
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हालांकि बीकानेर ग्रामीण मंडी में बाकी मंडियों की तुलना में जीरे का भाव थोड़ा कम रहा. यहां आठ अप्रैल को जीरा 34,125 रुपये प्रति क्विंटल बिका. मॉडल प्राइस 29 हजार रुपये प्रति क्विंटल थी. इस दिन मंडी में करीब 111 क्विंटल जीरे की आवक हुई. बाड़मेर मंडी में जीरे का अधिकतम भाव 35 हजार रुपये प्रति क्विंटल रहा.
राजस्थानी में एक कहावत है कि जीरा जीव रो बैरी यानी जीरा जान का दुश्मन होता है. ये कहावत मार्च के महीने में सही साबित हुई थी जब किसानों की रबी सीजन की पूरी मेहनत को मौसम ने बेकार कर दिया. मार्च महीने में आई आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से जीरे की फसल में काफी नुकसान हुआ. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 5.79 लाख हैक्टेयर में जीरे की बुवाई हुई थी. इसमें से करीब एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा की फसल मौसम की वजह से खराब हो गई.
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बाड़मेर में रहने वाले भारतीय किसान संघ, जोधपुर के प्रमुख प्रहलाद सिंह सियोल कहते हैं, “मौसम ने किसानों की उम्मीदों को तोड़ा था. लेकिन इस साल जीरे के भाव बहुत अच्छे मिल रहे हैं. इसे एक तरह से मुआवजा भी कहा जा सकता है. हालांकि जिन किसानों की पूरी फसल नष्ट हो गई थी, उनके नुकसान की भरपाई अभी तक सरकार की ओर से नहीं हो पाई है.”
उपभोक्ताओं को महंगा जीरा मिलने के सवाल पर सियोल कहते हैं कि उपभोक्ता बड़ी मात्रा में जीरा नहीं खरीदता. लोग किलो-दो किलो से ज्यादा जीरा नहीं खरीदते हैं. इसीलिए किसानों को भाव अच्छा मिलने से उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन पिछले सालों की तुलना में उन्हें इस साल भाव थोड़ा ज्यादा देना पड़ेगा.
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