कपास की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है, इसलिए इसे सफेद सोना भी कहा जाता है. पर पिछले कुछ वर्षों से कीट और रोग के प्रकोप के कारण इसकी पैदावार पर असर पड़ रहा है. साल 2021 से यहां पर फसलों में हो रहे कीटों के हमले के बाद पंजाब में इसकी खेती के रकबे में कमी आई है. इस बार यह अब तक से सबसे निचले स्तर लगभग 95,000 हेक्टेयर तक गिर गया है. इधर दक्षिण-पश्चिमी पंजाब के जिलों में कपास की खेतों में गुलाबी बॉलवॉर्म देखे जाने के मामले सामने आए हैं. इससे कपास की खेती में अधिक खतरा इसलिए पैदा हो गया है क्योंकि अब कपास की फसल फूल देने की अवस्था में प्रवेश कर चुका है.
इस बीच पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और पंजाब राज्य कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि फिलहाल कपास की खेती को किसी प्रकार का खतरा नहीं है, क्योंकि वर्तमान मौसम इसकी खेती के लिए अनुकूल है और पौधों में अच्छी वृद्धि देखी जा रही है. हालांकि उन्होंने कहा कि आने वाले सप्ताह के दौरान खेतों की निगरानी बढ़ानी पड़ेगी और कीट प्रबंधन पर विशेष ध्यान होगा, क्योंकि अब पौधों में फूल आने शुरू हो जाएंगे. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख कीट वैज्ञानिक विजय कुमार ने बताया कि विभिन्न इलाकों के खेतों से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार राज्य के कपास बेल्ट के विभिन्न हिस्सों में गुलाबी बॉलवर्म देखा गया है.
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विजय कुमार कहा है कि खेतों में इस कीट की मौजूदगी के संकेत मिले हैं. आने वाले सप्ताह तक इसकी संख्या और बढ़ सकती है. उन्होंने किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा कि अब फसल आने की अवस्था में हैं ऐसे समय में कीट का प्रकोप घातक साबित हो सकता है. इसलिए किसानों को अपने खेतों में लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है. फूल आने की अवस्था में ही कपास की फसल में गुलाबी बॉलवर्म का प्रकोप शुरू हो जाता है, इस वक्त अगर सही समय पर कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाए तो फिर फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
विजय कुमार ने आगे कहा कि इस क्षेत्र में बारिश के बाद कपास की फसल में लगने वाले एक अन्य सफेद मक्खी का खतरा काफी हद तक कम हो गया है. बठिंडा कृषि विज्ञान केंद्र के सहायक प्रोफेसर विनय पठानिया ने कहा कि पिंक बॉलवर्म से हमले से कपास की खेती को बचाने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन प्रणाली को अपनाना चाहिए. इससे बचाव का यही एक उपाय है. उन्होंने कहा कि 2021 के पिंक बॉलवर्म के हमले के बाद आने वाले लगातार दो खरीफ सीजन में खेतों में इसका प्रकोप देखा गया. इससे कपास को काफी नुकसान हुआ था. फाजिल्का के मुख्य कृषि अधिकारी संदीप रिनवा ने कहा कि फसल पर कीटों के हमले के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए फील्ड की टीम प्रत्येक सोमवार और बुधवार को खेतों की निगरानी कर रही है.
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संदीप रिनवा ने कहा कि फाजिल्का में कई ऐसे किसान हैं जो कपास की खेती को छोड़कर धान की खेती कर रहे हैं. इसके कारण इस बार इसकी खेती का रकबा घटा है पर इसके बाद भी अच्छे उत्पादन की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कपास के पौधों की ऊंचाई तीन फीट से ऊपर तक हो गई है. बठिंडा के मुख्य कृषि अधिकारी जगसीर सिंह ने बताया कि कुछ गांवों के खेतों में पिंक बॉलवर्म के होने का पता चला है, जिसकी लगातार निगरानी की जा रही है. उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन मामले सामने आए हैं जहां पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं करने के किसान को नुकसान हुआ है.
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