केले की फसलों पर बढ़ा वायरस का अटैक, पौधे काटने को मजबूर हुए परेशान किसान

केले की फसलों पर बढ़ा वायरस का अटैक, पौधे काटने को मजबूर हुए परेशान किसान

सोलापुर जिले के किसान महेंद्र पाटिल का कहना हैं कि उन्होंने अपने तीन एकड़ के बागान में केले के चार हज़ार पौधे लगाए थे, लेकिन चार महीने होने के बाद ही पौधों में सीएमवी रोग लग गए जिससे पौधों की ग्रोथ रुक गई. अब उन्हें पौधों को उखाड़कर फेंकना पड़ रहा है.

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केले की फसलों पर बढ़ा वायरस का अटैक, पौधे काटने को मजबूर हुए परेशान किसानकेले के पौधों को उखाड़कर फेकता हुआ किसान

महाराष्ट्र में इस समय किसानों को केले के दाम सही मिल रहे हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ होता नजर नहीं आ रहा है. राज्य के जलगांव, सोलापुर, भुसावल का नाम केले की खेती के लिए महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मशहूर है. यहां केले की अच्छी उपज से किसान समृद्ध भी हुए हैं. लेकिन पिछले दो साल से केला उत्पादकों को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल केले के बागों पर सीएमवी (ककड़ी मोजेक वायरस) का खतरा तेज़ी से बढ़ता जा रहा है. इसके चलते किसानों को लाखों का नुकसान हो रहा है. 

किसान बताते हैं कि केले के पौधों पर वायरस लगने से पौधे की ग्रोथ रुक जाती है. साथ में दूसरे पौधों में ये रोग जल्दी लग जाता है. इसकी वजह से किसानों को मजबूरन पौधे उखाड़कर फेंकना पड़ता है. पिछले साल बागों में सीएमवी का प्रकोप बड़े पैमाने पर हुआ था जिसकी वजह से इस साल केले के उत्पादन में भारी गिरावट देखी जा रही हैं. महाराष्ट्र के केला उत्पादक संघ के अध्यक्ष किरण चव्हाण का कहना है कि जो पौधे लैब से किसानों को मिल रहे हैं, वो पौधे खराब हैं. इसकी वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. 

किसान ने बताई समस्या

सोलापुर जिले के किसान महेंद्र पाटिल का कहना हैं कि उन्होंने अपने तीन एकड़ के बागान में केले के चार हज़ार पौधे लगाए थे, लेकिन चार महीने होने के बाद ही पौधों में सीएमवी रोग लग गए जिससे पौधों की ग्रोथ रुक गई. अब उन्हें पौधों को उखाड़कर फेंकना पड़ रहा है. पाटिल ने बताया कि बागों से अब तक 40 फीसदी पौधे उखाड़कर फेकना पड़ा है और आगे भी पौधों में ये रोग बढ़ने की संभावना है. 

किसानों को लाखों का नुकसान 

किसान महेंद्र पाटिल ने बताया कि तीन एकड़ खेत में चार हज़ार पौधे और फसलों पर महंगी दवाइयों के छिड़काव का खर्च दो लाख तक आया है. पाटिल ने कहा कि केले की फसल में कीट, रोग नियंत्रण, सीएमवी रोगों पर अभी तक सही शोध नहीं हो पाया है. केले की फसल में लगने वाले सीएमवी रोग के निवारण के लिए दवा भी जल्दी नहीं मिल पाती है. ऐसे में आर्थिक नुकसान हो रहा है. केला उत्पादक संघ के अध्यक्ष किरण चव्हाण कहना है कि केला महाराष्ट्र में व्यापक रूप से उगाया जाता है. इस फसल का क्षेत्रफल महाराष्ट्र में लगभग 90 हजार 500 हेक्टेयर है.अगर ऐसे में सीएमवी का निवारण नहीं किया गया तो राज्य में किसान इसकी खेती करना बंद कर देंगे. राज्य में जलगांव, सोलापुर, पुणे जिले में सबसे ज्यादा इसकी खेती की जाती है. 

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