महाशिवरात्रि आने वाली है. आषाढ़ एकादशी का पर्व भी आने वाला है. ये दोनों पर्व महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाए जाते हैं. इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और भगवान शिव के साथ भगवान बिट्ठल की पूजा होती है. इस पर श्रद्धालु यात्रा भी निकालते हैं. उपवास के दौरान लोग शकरकंद खाना पसंद करते हैं. ऐसे में इन दोनों पर्वों के लिहाज से शकरकंद की खपत महाराष्ट्र में बढ़ जाती है. इसी के साथ उन किसानों की आय भी बढ़ती है जो शकरकंद की खेती करते हैं. महाराष्ट्र के किसान बड़े पैमाने पर शकरकंद की खेती करते हैं. राज्य के किसान बताते हैं कि शकरकंद की खेती साल में दो बार ही की जाती है. पहले फरवरी और फिर जुलाई के महीने में. इसी महीने में महाशिवरात्रि और आषाढ़ एकादशी त्योहार भी आता है. इसके चलते किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है.
शकरकंद की खेती वैसे तो पूरे भारत में की जाती है, लेकिन ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में इसकी खेती सबसे अधिक होती है. शकरकंद की खेती में भारत दुनिया में छठे स्थान पर आता है. यूपी के बाराबंकी जिले में भी शकरकंद भारी मात्रा में उगाई जाती है.
जालना के रहने वाले किसान विठ्ठल कंधवाने बताते हैं कि इस समय जिले में ज्यादातर किसानों ने शकरकंद की खेती की है. हालांकि राज्य में इस समय कपास, सोयाबीन,प्याज़ की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. कंधवाने का कहना है कि शकरकंद का 12 से 15 रुपये प्रति किलो भाव मिला रहा है. कुछ दिनों में ये भाव 20 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने की संभावना है.
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किसान विठ्ठल कंधवाने बताते हैं कि इस साल उन्होंने अपने आधा एकड़ खेत में शकरकंद की खेती की जिसका उन्हें 150 सौ क्विंटल तक उत्पादन मिला है. कंधवाने बताते हैं कि इस खेती के लिए उनका लगभग 20 हज़ार तक का खर्च आया है. कंधवाने का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि हर साल की तरह इस साल भी अच्छा मुनाफा होगा.
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