इस बार भी सूखे के हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य में 2.82 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा था. पर इसकी तुलना में मात्र 16.13 हजार हेक्टेयर में ही धान की खेती हो पाई थी. इसके कारण सरकार ने धान उत्पादन का जो लक्ष्य रखा था वो भी पूरा नहीं हो पाया है. इस साल राज्य सरकार ने लगभग 60 हजार टन धान उत्पादन का लक्ष्य रखा था. पर इसकी तुलना में आधा ही उत्पादन हो पाया है. कृषि विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इस बार फसल सीजन में 1751.824 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खाद्यान्न की खेती की गई थी.
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अलग अलग फसलों की बात करें तो 203.7 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती की गई थी. जबकि 0.788 हजार हेक्टेयर में ज्वार, 0.355 हजार हेक्टेयर में बाजरा, 231 हजार हेक्टेयर में खरीफ मकई की खेती और 7.237 हजार हेक्टेयर में रबी मकई और 30.9 हजार हेक्टेयर में रागी की खेती की गई थी. दलहन के रकबे की बात करें तो कुल 185 हजार हेक्टेयर में तूर, 98 हजार हेक्टेयर में उड़द और 20 हजार हेक्टेयर में मूंग की खेती की गई थी. इसके अलावा दूसरे खरीफ दलहनी फसल की बात करें तो 14 हजार हेक्टेयर में अन्य दलहनी फसलों खेती की गई थी. इस तरह से कुल 322 हजार हेक्टेयर में दाल की खेती की गई थी.
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तिलहनी फसलों की खेती की बात करें तो 345 हजार हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की खेती की गई थी. गौरतलब है कि इस बार झारखंड के 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. इनमें सात जिले ऐसे हैं जिनके सभी प्रखंड सूखे की चपेट में थे. जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद यह पता चला था कि चतरा, देघवर, गिरिडीह, धनबाद, पलामू और लातेहार जिले के सभी प्रखंड गंभीर सूखे की चपेट में थे. इसके कारण धान की खेती के लक्ष्य का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया था.
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