आज हर किसान फसलों में लगने वाले कीटों और बीमारियों से परेशान है. इस परेशानी में हम अक्सर बिना सोचे-समझे रासायनिक कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल करने लगते हैं. यह न केवल हमारी मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि हमारे और आपके खाने को भी जहरीला बनाता है. लेकिन इसका समाधान बहुत सरल है और प्रकृति ने खुद हमें दिया है. जरूरत है बस उसे समझने और सही तरीके से अपनाने की. हमारे खेतों में दो तरह के कीट होते हैं, एक सेना की तरह और दूसरा शत्रु कीट. शत्रु कीट शाकाहारी कीट होते हैं जो हमारी फसलों, फलों और सब्जियों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें माहू, सफेद मक्खी और तना छेदक कीट हैं. दूसरी ओर मांसाहारी कीट होते हैं जो इन दुश्मन कीटों को खाते हैं और हमारी फसल की रक्षा करते हैं. ये हमारे प्राकृतिक सैनिक लेडीबर्ड बीटल, मकड़ी, और ट्राइकोग्रामा होते हैं.
प्रकृति का नियम है कि अगर खेत में 2 शत्रु कीट पर 1 मित्र कीट मौजूद है, तो चिंता की कोई बात नहीं है. मित्र कीट खुद ही दुश्मनों को संभाल लेंगे. लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, जैसे 10 शत्रु कीट पर 1 या 0 मित्र कीट हो, तब हमारी फसल बर्बाद होने लगती है. जब हम खेत में रासायनिक कीटनाशक डालते हैं, तो सबसे पहले हमारे मित्र कीट ही मरते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मित्र कीट संख्या में कम होते हैं. वे रसायनों के प्रति बहुत कमजोर और संवेदनशील होते हैं. जब हमारे रक्षक ही नहीं बचेंगे, तो दुश्मनों का राज होना तय है. इससे हमें और ज्यादा कीटनाशक डालने पड़ते हैं और हम एक कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंस जाते हैं.
हमें कीटनाशक डालने की जगह, अपने खेत का वातावरण ऐसा बनाना होगा कि दुश्मन कीट आ न सकें और मित्र कीटों की संख्या अपने आप बढ़ जाए. इसी को "पारिस्थितिकी अभियांत्रिकी" कहते हैं. इसके दो सरल उपाय हैं: अपने मुख्य खेत में फसल लगाने से एक महीना पहले, खेत के चारों ओर मोटे अनाज वाली फसलों की 4-5 घनी कतारें जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, या नेपियर घास लगाएं. ये फसलें एक मजबूत दीवार की तरह काम करती हैं और बाहर से आने वाले दुश्मन कीटों को खेत के अंदर घुसने से रोकती हैं. वे इन्हीं फसलों पर रुक जाते हैं और हमारी मुख्य फसल सुरक्षित रहती है.
मित्र कीटों को फूलों का रस बहुत पसंद होता है. उन्हें अपने खेत की तरफ आकर्षित करने और भोजन देने के लिए फूलों वाले पौधे लगाएं. खेत की मेड़ों पर और खेत के अंदर कुछ जगहों पर गेंदा, सूरजमुखी, तुलसी, धनिया, सौंफ, और लेमन ग्रास जैसे पौधे लगाएं. इससे यह फायदा होगा कि फूलों की खुशबू से मित्र कीट खिंचे चले आएंगे. उन्हें यहां रहने के लिए घर और खाने के लिए भोजन मिलेगा, जिससे उनकी संख्या तेजी से बढ़ेगी और वे खेत में छिपे दुश्मन कीटों को ढूंढ-ढूंढ कर खत्म कर देंगे.
इस सरल तकनीक को अपनाकर हम रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को लगभग खत्म कर सकते हैं. अपनी मिट्टी को बंजर होने से बचा सकते हैं. परिवार और समाज को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन दे सकते हैं. प्रकृति का संतुलन बनाकर टिकाऊ और लाभदायक खेती कर सकते हैं. बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है, मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखता है और खेती की लागत को कम करता है.
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