इन दिनों गन्ने की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना (Yellowing of Sugarcane Leaves) किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. यह समस्या अगर समय रहते रोकी न जाए तो फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने इस समस्या के पीछे की वजह और इसके प्रभावी नियंत्रण के उपाय बताए हैं, जो हर गन्ना किसान के लिए जानना जरूरी है. आइए सरल भाषा में समझते हैं कि गन्ने की पत्तियों में पीलापन क्यों आता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
गन्ने की पत्तियों में पीलापन दो प्रमुख कारणों से हो सकता है:
ये दोनों समस्याएं एक साथ या अलग-अलग भी फसल को प्रभावित कर सकती हैं और उत्पादन में गिरावट ला सकती हैं.
उकठा एक मिट्टी जनित रोग है जो फ्यूजेरियम सैकेरी नामक फफूंद के कारण होता है. यह गन्ने की जड़ों और तनों को प्रभावित करता है, जिससे पौधों में पोषक तत्वों का प्रवाह रुक जाता है और पौधे मुरझाने लगते हैं.
जड़ बेधक एक खतरनाक कीट है जो अप्रैल से अक्टूबर के बीच ज्यादा सक्रिय रहता है. इसकी सफेद रंग की सुंडी जड़ों को खाकर गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाती है.
गन्ना शोध परिषद ने किसानों को जैविक उर्वरकों के उपयोग की भी सलाह दी है. इससे मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं और पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. जैविक खेती से फसल प्राकृतिक रूप से मजबूत होती है और उकठा जैसे रोगों से भी काफी हद तक बची रहती है.
गन्ने की फसल में पीलापन कोई सामान्य समस्या नहीं है. यह उकठा रोग या जड़ बेधक कीट का संकेत हो सकता है. यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाएं तो इससे न केवल फसल की रक्षा की जा सकती है बल्कि उत्पादन में बढ़ोतरी भी संभव है. किसान भाइयों को चाहिए कि वे नियमित निगरानी करें, सही दवाओं और जैविक उपायों का उपयोग करें और गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर की सलाहों का पालन करें.
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