गन्ना किसानों के लिए जरूरी सलाह, जानें पत्तियों में पीलेपन की वजह और बचाव के उपाय

गन्ना किसानों के लिए जरूरी सलाह, जानें पत्तियों में पीलेपन की वजह और बचाव के उपाय

गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने गन्ने की पत्तियों में पीलेपन की समस्या को लेकर किसानों को जरूरी सलाह दी है. जानिए इस रोग के मुख्य कारण, लक्षण और बचाव के आसान व प्रभावी उपाय.

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गन्ना किसानों के लिए जरूरी सलाह, जानें पत्तियों में पीलेपन की वजह और बचाव के उपायगन्ने की पत्तियों में पीलापन

इन दिनों गन्ने की फसल में पत्तियों का पीला पड़ना (Yellowing of Sugarcane Leaves) किसानों के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. यह समस्या अगर समय रहते रोकी न जाए तो फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर ने इस समस्या के पीछे की वजह और इसके प्रभावी नियंत्रण के उपाय बताए हैं, जो हर गन्ना किसान के लिए जानना जरूरी है. आइए सरल भाषा में समझते हैं कि गन्ने की पत्तियों में पीलापन क्यों आता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.

गन्ने में पीलापन क्यों आता है?

गन्ने की पत्तियों में पीलापन दो प्रमुख कारणों से हो सकता है:

  • उकठा रोग (Wilt Disease)
  • जड़ बेधक कीट (Root Borer Pest)

ये दोनों समस्याएं एक साथ या अलग-अलग भी फसल को प्रभावित कर सकती हैं और उत्पादन में गिरावट ला सकती हैं.

उकठा रोग क्या है?

उकठा एक मिट्टी जनित रोग है जो फ्यूजेरियम सैकेरी नामक फफूंद के कारण होता है. यह गन्ने की जड़ों और तनों को प्रभावित करता है, जिससे पौधों में पोषक तत्वों का प्रवाह रुक जाता है और पौधे मुरझाने लगते हैं.

उकठा रोग के लक्षण

  • पत्तियों में पीलापन और बदरंग होना
  • पत्तियों का ऊपर से झुलस कर सूखना
  • तनों को चीरने पर हल्की गुलाबी या लाल धारियां दिखाई देना
  • तनों के अंदर नाव जैसी खाली जगह बनना
  • पत्तियों की मध्य शिराओं का पीला पड़ना और तनों का सिकुड़ जाना

उकठा रोग से बचाव के उपाय

  • थायोफेनेट मिथाइल 70 WP की 1.3 ग्राम/लीटर पानी या
  • कार्बेंडाजिम 50 WP की 2 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर
  • प्रति एकड़ 400 लीटर पानी में 520–800 ग्राम दवा मिलाकर जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें
  • हर ड्रेंचिंग के बाद हल्की सिंचाई करें
  • ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल न करें, यह मिट्टी के लाभकारी सूक्ष्मजीवों को नुकसान पहुंचाता है
  • खेत में नियमित निगरानी रखें और संतुलित मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग करें

क्या है जड़ बेधक कीट?

जड़ बेधक एक खतरनाक कीट है जो अप्रैल से अक्टूबर के बीच ज्यादा सक्रिय रहता है. इसकी सफेद रंग की सुंडी जड़ों को खाकर गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाती है.

जड़ बेधक कीट के लक्षण

  • पौधों का मुरझाना
  • पत्तियों का पीला पड़ना
  • जड़ों और नवोदित पौधों का सड़ना
  • सफेद बिना धारियों वाली सुंडी और गहरे भूरे सिर का दिखना

जड़ बेधक कीट पर नियंत्रण के उपाय

  • फिप्रोनिल 0.3G की 8–10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें
  • या नीचे दी गई दवाएं 750 लीटर पानी में मिलाकर ड्रेंच करें:
  • क्लोरोपायरीफॉस 20% EC – 2 लीटर/एकड़
  • क्लोरोपायरीफॉस 50% EC – 1 लीटर/एकड़
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 200 मि.ली./एकड़
  • इन उपायों से कीटों की संख्या कम होती है और पौधों की वृद्धि फिर से शुरू होती है

जैविक उपाय भी अपनाएं

गन्ना शोध परिषद ने किसानों को जैविक उर्वरकों के उपयोग की भी सलाह दी है. इससे मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्मजीव सक्रिय रहते हैं और पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. जैविक खेती से फसल प्राकृतिक रूप से मजबूत होती है और उकठा जैसे रोगों से भी काफी हद तक बची रहती है.

गन्ने की फसल में पीलापन कोई सामान्य समस्या नहीं है. यह उकठा रोग या जड़ बेधक कीट का संकेत हो सकता है. यदि समय रहते उचित कदम उठाए जाएं तो इससे न केवल फसल की रक्षा की जा सकती है बल्कि उत्पादन में बढ़ोतरी भी संभव है. किसान भाइयों को चाहिए कि वे नियमित निगरानी करें, सही दवाओं और जैविक उपायों का उपयोग करें और गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर की सलाहों का पालन करें.

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