झारखंड में एमएसपी पर धान की खरीद की जा रही है. अधिक से अधिक किसान सरकारी खरीद केंद्रों में धान बेचने के लिए आए इसे लकेर हर साल राज्य सरकार की तरफ से किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए जाते हैं पर, इसके बावजूद धान खरीद की रफ्तार धीमी रहती है. ऐसे में यह सलाव उठने लगता है कि क्या सरकार धान खरीद के लक्ष्य को पूरा कर पाएगी. क्योंकि अगर पिछले पांच साल के धान खरीद के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 2018 से लेकर 2023 तक सरकार तीन बार धान खरीद के लक्ष्य में फेल हुई है, जबकि दो बार धान खरीद के लक्ष्य को पूरा किया गया है. इस बार भी जिस रफ्तार से धान की खरीद चल रही है उसके हिसाब से लक्ष्य के पूरा होने पर इस बार भई संशय बना हुआ है.
इस बार के धान खरीद की बात करें पाकुड़ से अब तक मात्र 20 क्विंटल धान की खरीद की गई है, जबकि पलामू से 120 क्विंटल धान की खरीद की गई है. पाकुड़ में 676 किसानों को धान खरीद से संबंधित मैसेज भेजा गया था पर मात्र दो किसान ही धान लेकर खरीद केंद्रों तक पहुंचे. वहीं पलामू में भी 83 किसानों को धान खरीद से संबंधित मैजेस भेजा गया था पर मात्र दो किसानों ने ही अब तक धान बेचा है. राज्य में सबसे अधिक 33820 क्विंटल धान की खरीद हजारीबाग जिले में की गई है. यहां पर 4200 किसानों को मैसेज भेजा गया था जबकि 659 किसानों ने धान बेचा है. वहीं धान खरीद में रांची दूसरे नंबर पर है. यहां पर 27381 क्विंटल धान की खरीद की गई है. यहां कुल 4448 किसानों को मैसेज भेजा गया था जबकि 334 किसानों ने धान बेचा है.
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इस बार झारखंड में 60 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. अब तक कुल 205 धान खरीद केंद्रों से 127943.68 क्विंटल धान की खरीद की गई है. धान खरीद के लिए अब तक 232621 किसानों ने निबंधन कराया है. जिसमें से 28315 किसानों को धान बेचने के लिए मैसेज भेजा गया है. पर पूरे राज्य से मात्र 2244 किसानों ने धान की बिक्री की है. धान बेचने के लिए किसानों का कम संख्या में सामने आना धान खरीद के लक्ष्य को पूरा करने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. हालांकि इस समस्या से पार पाने के लिए राज्य सरकार हार बार कुछ कुछ उपाय करती है पर इसके बावजूद नतीजा सिफर होता है. इस बार भी किसानों को धान खरीद की 50 प्रतिशत राशि उनके खाते में तीन दिनों के अंदर भुगतान करने का वादा किया गया है साथ ही 117 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस भी सरकार दे रही है इसके बाद भी किसानों का टर्नआउट कम हो रहा है.
धीमी धान खरीद के पीछे की वजह के बारे में पूछने पर जानकार बताते हैं कि इस बार धान की खेती अच्छे तरीके से नहीं हुई है इसके कारण धान के उत्पादन पर असर पड़ा है. इस वजह से किसान धान नहीं बेच रहे हैं, क्योंकि वो अपने खाने का इंतजाम पहले करते हैं. दूसरी वजह यहा है कि हर साल 15 दिसंबर से धान की खरीद शुरू हो जाती है पर इस बार धान खरीद देरी से शुरू हुई है इसके कारण कई किसानों ने पैसों की जरुरत होने पर पहले ही बिचौलियों को अपना धान बेच दिया है.
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एक और वजह यह भी बताई जा रही है कि इस बार अभी तक सभी धान खरीद केंद्र नहीं खोले गए हैं. राज्य में लगभग 600 से अधिक धान खरीद केंद्र खोले जाते हैं पर इस बार अभी तक मात्र 205 धान खरीद केंद्रों में ही धान की खरीद की जा रही है. धान खरीद की धीमी गति की एक और बड़ी वजह यह है कि लैंपस के प्रति किसानों का विश्वास कम हुआ है क्योंकि आज भी कई किसान ऐसे हैं जिन्हें पिछली बार का पैसा नहीं मिला है. साथ ही धान खरीद की प्रक्रिया को लेकर किसान परेशान होते हैं. इससे बचने के लिए वो बिचौलियों के पास धान बेच देते हैं.
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