झारखंड में गर्मी चरम पर है. उष्ण लहर ने लोगों को घर से निकलना मुश्किल कर दिया है. आसमान से आग बरस रही है. ऐसे में सबसे अधिक परेशानी किसानों को हो रही है क्योंकि खेतों में हरी सब्जियों पर धूप का असर हो रहा है. तेज धूप के कारण उनकी गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है. इसके अलावा गर्मी के कारण बीमारियों के प्रकोप का खतरा भी बढ़ गया है. ऐसे में किसानों को राहत दिलाने के लिए और इस मौसम में गर्मी और तेज धूप के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए मौसम विभाग की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी की जाती है. इन सलाहों का पालन करने किसान नुकसान से बच सकते हैं और अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.
गरमा धान की खेती में उष्ण लहर के प्रभाव को लेकर कहा गया है कि अधिक गर्मी के कारण अनाज के दाने बदरंग हो सकते हैं. इसके साथ ही खेतों में तना छेदक कीट का प्रकोप देखा जा सकता है. गर्मी के कारण फसल जल्दी पकने लगते हैं. इसके कारण धान की गुणवत्ता पर असर पड़ता है. इससे बचाव के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि सुबह और शाम के वक्त खेतों की लगातार सिंचाई करते रहे. खेतों में निराई गुड़ाई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाए रखें जिससे खेत की मिट्टी में नमी बनी रहेगी. खेतों में जल जमाव बनाए रखने के लिए मेड़ों को दुरुस्त रखें.
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गरमा मूंग की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि अत्यधिक गर्मी के कारण फूल गिर सकते हैं और अनाज भरने की अवधि कम हो सकती है. इससे बचाव के लिए सुबह और शाम के वक्त सिंचाई करते रहें. खेतों में निराई गुड़ाई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाए रखें जिससे खेत की मिट्टी में नमी बनी रहेगी. खेतों में जम जमाव बनाए रखने के लिए मेड़ों को दुरुस्त रखें. जिन किसानों ने सब्जियों की खेती की है, उनमें गर्मी के कारण फल सड़ने की शिकायत आ सकती है. पौधों की बढ़वार प्रभावित हो सकती है. सब्जियों और फसलों से फूल झड़ सकते हैं. ककड़ी, करेला के सूखने की शिकायत आ सकती है.
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टमाटर में धूप और गर्मी के कारण दरारें आ सकती हैं. इसके अलावा सब्जियों की खेती में सफेद मक्खी का प्रकोप देखा जा सकता है. इससे बचाव का उपाय करते हुए नर्सरी वाली अवस्था की सब्जियों को पुआल से ढंक दें. खड़ी सब्जियों में सुबह और शाम के वक्त सिंचाई करें. गर्मी और तेज धूप के कारण आम, नींबू और जामुन के फल सूख कर गिर सकते हैं. साथ ही उनमें कीटों का प्रकोप हो सकता है. आम के फलों का आकार छोटा हो सकता है. इससे बचाव के लिए सुबह और शाम के वक्त बागों की सिंचाई करते रहें. सिंचाई के लिए टपक सिंचाई की विधि का प्रयोग करें.
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