गेहूं की फसल पर बारिश का असर दिखने लगा है. हरियाणा के रोहतक में बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल का भारी नुकसान हुआ है. रोहतक आसपास के कई गांवों में गेहूं की फसल काली पड़ने लगी है और फंगस का हमला शुरू हो गया है. ये स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि गेहूं की फसल बारिश के पानी से पूरी तरह भीग गई है. कृषि विशेषज्ञ और किसान बताते हैं कि खेतों में पानी लगा है और फसल आधा पानी में डूबी हुई है. ऐसे में फसल में नमी अधिक बढ़ने से उसका रंग बदरंग होने लगा है. नमी बढ़ने से फंगस का अटैक भी होने लगा है.
फसल का रंग बदलने और फंगस का हमला होने से किसानों में चिंता बढ़ गई है. अब किसानों को डर सताने लगा है कि गेहूं की उपज उनके घर या खलिहान नहीं पहुंचेगी. जब फसल ही नहीं बचेगी तो घर में उपज पहुंचने का सवाल पैदा नहीं होता. हालात तो ये हो गई है कि गेहूं का पौधा पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में भी इस्तेमाल नहीं हो सकता. पौधे काले पड़ने से पशु उसे नहीं खा सकेंगे.
कई किसानों ने 'दि ट्रिब्यून' को बताया कि वे गेहूं के खेत में हल चलाने का सोच रहे हैं क्योंकि जितना खर्च फसल काटने में आएगा, उतना पैसा गेहूं से नहीं निकल पाएगा. इससे अच्छा होगा कि पूरे खेत को जोतकर नई फसल की तैयारी की जाए. करोंथा गांव के किसान बलबीर सिंह कहते हैं, बेमौसम बारिश से गेहूं काला पड़ गया है. अच्छी उपज की उम्मीद पर पूरी तरह से पानी फिर गया है क्योंकि गेहूं काला पड़ने से क्वालिटी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. इस उपज को कोई खरीदना भी नहीं चाहेगा.
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कुछ इसी तरह की बात ऑल इंडिया किसान सभा के स्टेट सेक्रेटरी सुमित दलाल कहते हैं, रोहतक जिले के खरैंटी, चांदी, भगवतीपुर, गिरावर, समर गोपालपुर टिटोली, खेड़ी साध, करोर, कन्हेली, पहरावर और अन्य कई गांवों में बारिश और ओलावृष्टि ने गेहूं की फसल को नष्ट कर दिया है.
रोहतक में कृषि और किसान कल्याण विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर राकेश कुमार ने कहा, फसल भीगने से पौधे और बालियां काली पड़ जाती हैं क्योंकि फंगस का अटैक बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाता है. इस बीच रोहतक के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) डॉ. यश पाल ने कई गांवों का दौरा किया और फसलों का जायजा लिया. डॉ. यश पाल ने लढ़ौत, किलोई, धामर, जसिया, ब्रह्मनवास और कनही गांवों में गेहूं की फसलों का हाल जाना.
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डीसी ने किसानों को आश्वस्त किया कि फसली नुकसान का मुआवजा सीधा उनके खाते में भेजा जाएगा. उन्होंने कृषि अधिकारियों को निर्देश दिया कि व्यक्तिगत तौर पर हर किसान के खेत में जाएं और फसली नुकसान का सर्वे कर जल्दी रिपोर्ट जमा करें. इसके बाद मुआवजे की कार्रवाई शुरू की जाएगी.
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