WH 1309: गेहूं की नई किस्म तैयार, तापमान बढ़ने के बावजूद अधिक पैदावार देने में सक्षम

WH 1309: गेहूं की नई किस्म तैयार, तापमान बढ़ने के बावजूद अधिक पैदावार देने में सक्षम

HAU ने गेहूं की नई किस्म wh 1309 तैयार की है. इस किस्म के दाने मोटे और चमकीले होते हैं. गेहूं की इस नई वैरायटी की पछेती बिजाई करने वाले हरियाणा के किसानों को अधिक लाभ मिलेगा. यह किस्म पीला रतुआ, भुरा रतुआ और अन्य बीमारियों के प्रति रोगरोधी है.

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WH 1309: गेहूं की नई किस्म तैयार, तापमान बढ़ने के बावजूद अधिक पैदावार देने में सक्षमगेहूं की नई किस्म 1309

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के गेहूं एवं जौ अनुभाग ने गेहूं की पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309 (WH 1309) तैयार की है. डब्ल्यू एच 1309 किस्म अन्य सभी किस्मों की तुलना में गर्मी के प्रति अधिक सहनशील है. इस किस्म की खेती के लिए हरियाणा की राज्य बीज उप समिति ने सलाह दी है. जलवायु परिवर्तन के कारण मार्च के महीने में तापमान की बढ़ोतरी देखी गई है जिससे गेहूं की फसल पर खराब असर पड़ता है, लेकिन इस किस्म की पैदावार पर तापमान के बढ़ने का असर नहीं होगा. इस किस्म के बारे में एएचयू के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने जानकारी दी.

अधिक पैदावार देने वाली पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309

धान की कटाई में देरी, जलभराव या अन्य कारणों से हरियाणा के 15 से 20 प्रतिशत क्षेत्र में गेहूं की बिजाई में देरी हो जाती है. इसको देखते हुए एएचयू के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं की अधिक पैदावार देने वाली नई पछेती किस्म डब्ल्यू एच 1309 विकसित की है. सिंचित परिस्थितियों के परीक्षणों में गेहूं की इस किस्म ने औसत उपज 55.4 क्विंटल/हेक्टेयर दर्ज की है और इसकी अधिकतम उपज 64.5 क्विंटल/हेक्टेयर है. हरियाणा के अलग-अलग जिलों में किसानों के खेतों में इस किस्म पर प्रयोग किया गया है. उसमें पाया गया कि इसकी औसत उपज 54.3  क्विंटल/हेक्टेयर है, जो कि चेक किस्म डब्ल्यू एच 1124 (48.2 क्विंटल/हेक्टेयर) की तुलना में 12.7 प्रतिशत अधिक है. 

जनवरी के पहले सप्ताह तक इस किस्म की बुवाई की जा सकती है. जनवरी महीने के दौरान किसानों के खेत पर की गई बिजाई का रिजल्ट भी बहुत अच्छा रहा जिसमें इस किस्म की पैदावार 40-50 क्विंटल/हेक्टेयर रही. इसके दाने मोटे और चमकीले होते हैं. इस किस्म से पछेती बिजाई करने वाले हरियाणा के किसानों को अधिक लाभ मिलेगा. यह किस्म पीला रतुआ, भुरा रतुआ और अन्य बीमारियों के प्रति रोगरोधी है. यह किस्म जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है और इसे लवणीय क्षेत्र में भी बोया जा सकता है. यह लंबी बालियां, जल्दी पकाव और मोटे दाने वाली उन्नत किस्म है.

डब्ल्यू एच 1309 की बिजाई का उचित समय, बीज और खाद की मात्रा

एचएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि गेहूं की नई किस्म डब्ल्यू एच 1309 की बिजाई का उचित समय एक दिसंबर से 20 दिसंबर है और बीज की मात्रा 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की अधिक से अधिक उपज पाने के लिए शुद्ध नाइट्रोजन 150, फास्फोरस 60, पोटाश 30, जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग की सिफारिश की जाती है. यह नई किस्म पछेती बिजाई वाले क्षेत्रों के लिए वरदान साबित होगी.

डब्ल्यू एच 1309 किस्म की विशेषताएं

डब्ल्यू एच 1309 किस्म 83 दिन में बालियां निकालती हैं और 123 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की बालियां लंबी और भूरे रंग की है. इस किस्म की ऊंचाई 98 सेंटीमीटर है, जिससे इसके गिरने का खतरा न के बराबर है. इस किस्म का दाना मोटा है. इसमें 13.2 प्रतिशत प्रोटीन, हेक्टोलीटर वजन 81.9 केजी/एचएल और अवसादन मान 54 मिली है. इसलिए पौष्टिकता और चपाती बनाने के लिए यह किस्म अच्छी है.  

डब्ल्यू एच 1309 बनाने में इन वैज्ञानिकों का योगदान

एचएयू के गेहूं एवं जौ अनुभाग के वैज्ञानिकों की टीम ने गेहूं की एक नई किस्म डब्ल्यू एच 1309 विकसित की है. इस टीम में डॉ. विक्रम सिंह, एम.एस. दलाल, ओपी बिश्नोई, दिव्या फोगाट, योगेंद्र कुमार, हर्ष, सोमवीर, वाई.पी. एस. सोलंकी, राकेश कुमार, गजराज दहिया, आर.एस. बेनीवाल, भगत सिंह, रेणु मुंजाल, प्रियंका, पवन कुमार और शिखा का इस किस्म को विकसित करने में अहम योगदान रहा.

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