फलों का राजा आम की पहुंच खास से लेकर आम आदमी तक है. इसके स्वाद का आनंद केवल अमीर नहीं बल्कि एक गरीब भी आसानी से ले पाता है. लेकिन बेमौसम बारिश,ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बारिश आम के लिए फायदेमंद हो सकता है. बशर्ते बारिश के साथ ओलावृष्टि या तेज आंधी न हो. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष मोहम्मद फिजा अहमद कहते हैं कि अभी जैसी बारिश हो रही है, उसमें मृदरोमिल रोग यानी फफूंदी का ख़तरा बढ़ जाता है. इसमें फल सूख कर गिर जाते हैं. इस तरह के रोग घने आम के बगीचा में अधिक होता है. दूसरी ओर जर्दालु आम के लिए बारिश ज्यादा नुकसानदेह नहीं है. इस बार समय से 10 दिन पहले ही जर्दालु आम का मंजर फल के रूप में तब्दील हो गया है. इससे उसके आकार में बढ़ोतरी होगी.
दूसरी ओर, जर्दालु आम के ऑथराइज्ड यूजर बनाने को लेकर सरकार और विश्वविद्यालय के द्वारा ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. बिहार में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर के आसपास आम की खेती की जाती है. करीब साढ़े चौदह लाख टन के आसपास फलों का उत्पादन होता है. वहीं केवल भागलपुर जिले में जर्दालु आम की खेती करीब 500 से 600 हेक्टेयर के आसपास की जाती है.
ये भी पढ़ें- Success Story: युवा ने नौकरी छोड़ ,मॉर्डन तकनीक से मशरूम की खेती से कर रहा अच्छी कमाई
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष मोहम्मद फिजा अहमद बताते हैं कि बेमौसम बारिश आम के लिए फायदेमंद है. लेकिन जहां ओलावृष्टि और तेज आंधी के साथ बारिश हुई है, वहां आम के मंजर झड़ गए हैं. साथ ही जिन आम पर दाने आ गए थे, ओलावृष्टि होने के कारण उन फलों पर दाग लग जाएंगे और वे बेकार हो जाएंगे.
वहीं जर्दालु आम की बात करें तो इस साल 10 दिन पहले ही मंजर से आम के दाने (टिकोरा) में तब्दील हो चुका है. इसका फायदा ये है कि जर्दालु आम का साइज बड़ा होगा. साथ ही उसका स्वाद भी बढ़िया लगेगा. इस साल 22 से 25 मई के बीच जर्दालु आम बाजार तक पहुंच जाएगा. आगे वे बताते हैं कि आने वाले दिनों में तापमान में वृद्धि होने के दौरान किसान तीन से चार दिनों पर हल्की सिंचाई करें. इसका फायदा ये होगा कि फल का आकार बड़ा होगा. स्वाद के साथ अगले साल भी फल बढ़िया आएगा.
ये भी पढ़ें- अच्छी क्वालिटी वाले मखाना की ऐसे करें पहचान कीमत तय करने में होगी आसानी
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह बताते हैं कि जर्दालु आम को जीआई टैग मिलने के बाद इसकी मांग बढ़ी है. वहीं राज्य सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा विदेशों में भी जर्दालु आम पहुंचाने की तैयारी की जा रही है. इसके अलावा जर्दालु आम के पौधे और फल को राज्य सरकार देश स्तर पर पहुंचाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (FPO) की भी मदद ले रही है. वहीं उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष मोहम्मद फिजा अहमद कहते हैं कि विश्वविद्यालय जर्दालु आम के ऑथराइज़्ड यूजर बनाने का काम अपने स्तर पर कर रहा है, जो आने वाले 15 अप्रैल तक पूरा हो जाएगा. इसका फायदा ये होगा कि जर्दालु आम को जीआई टैग के नाम से बाजार में बेचा जाएगा. वहीं राज्य सरकार भी अपने स्तर पर कार्य कर रही है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today