कृषि अधिकारियों के साथ कृषि मंत्री कुमार सर्वजित. फोटो-किसान तक राज्य में अब तक तीन कृषि रोडमैप के तहत खेती से जुड़े विकास कार्य किए गए हैं. वहीं अब चतुर्थ कृषि रोडमैप के तहत सूबे की सरकार पांच साल के दौरान किसानों को बागवानी के प्रति प्रेरित करने की योजना बना रही है. सरकार उद्यानिक फसलों के विकास के लिए जिलेवार कार्ययोजना तैयार करने जा रही है, जिसमें आंवला, जामुन, बेल, कटहल और नींबू सहित अन्य क्वालिटी वाले पौधे लगाने की योजना है. राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने बताया कि जामुन, कटहल, बेल, नींबू के पौधे बिहार में कम होते जा रहे हैं. इसे नए क्षेत्र में बढ़ावा देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि विभागीय योजनाओं का लाभ नए किसानों तक पहुंचे, इसको लेकर अधिकारियों को अपने कर्तव्य का पालन करने की जरूरत है, जिससे बिहार का विकास हो सके.
राज्य में करीब 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिक फसलों की खेती की जाती है. वहीं राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 19 प्रतिशत है, जिसमें बागवानी का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है.
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कृषि विभाग द्वारा सीड हब और बीज उत्पादन एवं उद्यानिक फसलों से संबंधित परिचर्चा के दौरान कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार को कृषि के क्षेत्र में नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए बागवानी के क्षेत्र में विशेष काम करने की जरूरत है. उद्यानिक से जुड़ी योजना बाजार की मांग के आधार पर बनाने की जरूरत है. आगे उन्होंने कहा कि अभी तक उद्यानिक फसलों की खेती उतरी बिहार तक ही सीमित थी. लेकिन इसे दक्षिण बिहार के शुष्क क्षेत्रों में भी प्रोत्साहित किया जाएगा. वहीं दक्षिण बिहार में आंवला और अमरूद का क्षेत्र विस्तार करने की जरूरत है. अभी के समय में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 19 प्रतिशत है, जिसमें बागवानी का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है जिसे और बढ़ाने की जरूरत है.
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आगे उन्होंने कहा कि राज्य में केले के उत्पादन की अपार क्षमता है. विशेषकर पारंपरिक केला के प्रभेदों के क्षेत्र विस्तार और इसकी खेती को विकसित करने की आवश्यकता है क्योंकि इनमें पनामा बिल्ट रोग नहीं लगता है, जो कि जी-09 प्रभेदों में पनामा बिल्ट अधिक लगता है.
कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि उद्यानिक फसलों की खेती में जिले के जरूरत के अनुसार पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. साथ ही फसलों का चयन जिले के भौगोलिक स्थिति और जलवायु के अनुसार किया जाएगा. वहीं मखाना की खेती के उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी पर काम किया जा रहा है. इसके साथ ही दक्षिण बिहार के जिलों में शुष्क बागवानी के विकास के लिए विशेष प्रावधान किया जाएगा ताकि इन इलाकों के किसान बागवानी के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए अपनी आय को डबल कर सकें.
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