राजस्थान की रामगढ़ विधानसभा सीट एक ऐसी विधानसभा है जहां जातीय गणित से चुनाव की जीत हार तय होती है. मेव मुसलमान की बड़ी आबादी वाली इस सीट पर 1990 के बाद से हिंदू मुस्लिम समीकरणों का प्रभाव रहा है. कांग्रेस के जुबेर खान और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के ज्ञान देव आहूजा के बीच लंबे समय से सियासी मुकाबला होता रहा. कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन के बाद रामगढ़ विधानसभा सीट पर कुछ चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने सुखवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है, तो कांग्रेस में जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को टिकट दिया है. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला है.
जब तीसरा मोर्चा यानी बीएसपी या आसपा से हिंदू प्रत्याशी खड़ा हुआ तो बीजेपी हारी और जब मुस्लिम आया तो कांग्रेस हार गई क्योंकि उससे जाति और धर्म के वोट कट गए. बीते चुनाव में सुखवंत सिंह बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे. उनको करीब 70 हजार वोट मिले थे तो आर्यन खान पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार उप चुनाव में तीसरा मोर्चा के कमजोर होने से बीजेपी की राह आसान होती दिख रही है क्योंकि बीजेपी से बगावत करने वाले जय आहूजा के तेवर तीसरे दिन ही ढीले हो गए और अपनी ही महापंचायत में पार्टी के नेताओं के सामने सरेंडर हो गए. लेकिन बीजेपी में अभी भितरघात का खतरा टला नहीं है. अगर बीजेपी भितरघात को रोकने में सफल होती है तो सफलता की राह भी आसान हो जाएगी.
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उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सीमावर्ती क्षेत्र में रामगढ़ विधानसभा सीट हमेशा से ही चर्चा में रही है. जुबेर खान से पहले कांग्रेस के टिकट पर यहां 1977 और 1980 में जय किशन चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. लेकिन 1990 के बाद इस सीट पर अब तक आठ चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस में इसमें से सात बार जीत दर्ज की. जुबेर खान यहां से विधायक रहे तो 2018 में जुबेर खान की पत्नी सफिया जुबेर खान को टिकट दिया था. कांग्रेस ने 2023 में वर्तमान विधायक सफिया का टिकट काटकर उनके पति जुबेर खान को टिकट दिया. जबकि बीजेपी ने अपने विधायक प्रत्याशी ज्ञान देव आहूजा की जगह उनके भतीजे को चुनाव मैदान में उतरा जो बड़े अंतर से हार गए. तो वहीं जुबेर खान के निधन के बाद अभी सीट पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने सुखवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को अपना प्रत्याशी बनाया है.
रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 74 हजार 180 मतदाता हैं. इनमें 1 लाख 29 हजार 20 हजार 266 महिला मतदाता, 1 हजार 44 हजार 914 पुरुष मतदाता हैं जबकि 366 विशेष योग्यजन मतदाता हैं. इनमें 85 साल से अधिक उम्र के 168 मतदाता हैं.
चुनाव के दौरान यहां के स्थानीय मुद्दे हाली रहते हैं क्योंकि रामगढ़ सीमावर्ती क्षेत्र है. यहां कई तरह की तस्करी होती है. गो तस्करी का खुलेआम खेल चलता है. साथ ही हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी भी इस क्षेत्र में खुलेआम होती है. लव जिहाद जैसे मुद्दे यहां अहम हैं. हिंदू मुस्लिम विवाद की घटनाएं भी आए दिन होती है.
पिछले वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो 2008 में तीसरे मोर्चा से बसपा से फजरू खान खड़े हुए और वे 8129 वोट पर ही सिमट गए. लेकिन इन्होंने मुस्लिम वोट काटकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया, जिससे बीजेपी के ज्ञानदेव आहूजा 61 हजार 493 वोट लेकर चुनाव जीत गए जबकि जुबेर खान को 45 हजार 411 वोट मिले.
2013 में भी बीएसपी से फजरू खान को ही टिकट मिला और वे 7790 मतों पर ही सिमटे, लेकिन जो वोट कटे वे मुस्लिम वोट ही थे. इस चुनाव में बीजेपी के ज्ञानदेव आहूजा जीते. आहूजा ने 73 हजार 842 और कांग्रेस के जुबेर खान को 69 हजार 195 वोट मिले. इन दोनों ही चुनावों में तीसरे मोर्चा यानी बीएसपी से मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में था, जिसने कांग्रेस के जुबेर खान को मुस्लिम वोटों का नुकसान पहुंचाया तभी बीजेपी जीती.
लेकिन 2018 में हालात बिल्कुल बदल गए. यहां बीएसपी से हिंदू प्रत्याशी जगत सिंह चुनावी मैदान में आ गए और हिंदू वोटों को काटकर कांग्रेस को सीधे तौर पर फायदा पहुंचा दिया. जगत सिंह 24 हजार 856 वोट लेकर कांग्रेस की साफिया खान को जिता गए. साफिया खान को 83 हजार 311 और बीजेपी के सुखवंत सिंह को 71 हजार 83 वोट मिले.
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साल 2023 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस बार भी तीसरे मोर्चा यानी आजाद समाज पार्टी पार्टी से बीजेपी के बागी सुखवंत सिंह मैदान में आ गए और बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाकर 74 हजार 69 वोट ले गए. इससे बीजेपी प्रत्याशी जय आहूजा की जमानत जब्त हो गई. वे बीजेपी प्रत्याशी होने के बावजूद 34 हजार 882 वोट पर सिमट गए. इस सीट पर ये बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा जबकि कांग्रेस के जुबेर खान 93 हजार 765 वोट लेकर चुनाव जीत गए.(हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)
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