झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए भले ही तारीखों का एलान नहीं हुआ है लेकिन सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में आ गई हैं. सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से चुनावी की तैयारियों में जुट गई हैं. राज्य की प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) समेत आजसू भी अपने हिसाब से जीत का समीकरण बैठाने में लग गई हैं. यह चुनाव इंडिया गठबंधन में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह चुनाव उनके पांच साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा है. अगर जनता उन्हें नकार देती है तो इसका मतलब साफ है कि उन्होंने पांच सालों तक अच्छा काम नहीं किया है.
इधर बीजेपी के लिए भी यह चुनाव उसकी प्रतिष्ठा का विषय है क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी को यहां पर सीटें कम हुई हैं. इसके साथ ही केंद्र में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी जनता के बीच यह मैसेज देने का प्रयास करेगी कि डबल इंजन की सरकार राज्य का विकास करने में सफल होगी. चुनाव जीतने के लिए जोड़ तोड़ की राजनीति भी शुरू हो गई है. नेताओं को जोड़ने तोड़ने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है. इस बीच खबर यह आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री चंपई सोरेन अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं और बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
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राजनीतिक गलियारों में यह कयास तेज हो गए हैं कि चंपई सोरेन चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि इस कयासों के बीच विधानसभा क्षेत्र सरायकेला में जल संसाधन विभाग के खरकाई लिफ्ट भूमिगत पाइप लाइन सिंचाई योजना का उद्घाटन किया और कहा कि वे दिल्ली अमित शाह से मिलने नहीं गए हैं. चंपई सोरेन बीजेपी की टॉप लिस्ट में हैं और बीजेपी उन्हें अपने पाले में लाने के लिए जोर लगा रही है. इसके लिए पार्टी के ही कुछ नेताओं को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. राज्य में बीजेपी को जीत हासिल करने लिए चंपई सोरेन जैसे एक बड़े चेहरे की जरूरत है जो कोल्हान में बीजेपी को मदद कर सके. हालांकि अर्जुन मुंडा भी कोल्हान से ही आते हैं पर पिछले एक दशक से वो राष्ट्रीय राजनीति में ही रहे हैं.
दरअसल भूमि घोटाला मामले में हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सोरेन को राज्य की बागडोर सौंपी गई थी. चंपई सोरेन सोरेन शिबू सोरेन परिवार के बेहद करीबी और विश्वासी माने जाते हैं. कोल्हान के अलावा संथाल में भी चंपई सोरेन एक बड़ा नाम है. सोरेन फैक्टर संथाल में उन्हें लाभ पहुंचा सकता है. इसलिए बीजेपी को भी यह लगता है कि चंपई सोरेन को साध लेने पर उसके लिए कोल्हान और संथाल में वोट पाना आसान हो जाएगा. इन दोनों ही जगहों पर अगर बीजेपी की सीटें बढ़ जाती है तो पार्टी के लिए झारखंड में जीत की राह आसान हो जाएगी.
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बता दें कि जेल से बाहर निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और चंपई सोरेन को इस्तीफा दिला दिया था. इसे लेकर बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने उनसे हमदर्दी जताई थी. क्योंकि जब चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं तो फिर चंपई को हटाने की क्या जरूरत थी. बीजेपी ने इसे एक मुद्दा बनाया था और कहा था कि सोरेन परिवार सत्ता अपने हाथ में रखना चाहती है. उस वक्त चंपई सोरेन ने भी भारी मन से इस्तीफा दिया था. हालांकि फिलहाल बीजेपी में शामिल होने के अटकलों को चंपई सोरेन ने खारिज कर दिया है और कहा कि मुझे अभी लंबी पारी खेलनी है.
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